- गणेश शंकर विद्यार्थी / लज्जाशंकर हरदेनिया
- अहिल्याबाई और रंजीत सिंह के विलोम
- सावरकर,नेताजी, सरदार,प्यारेलाल और बेचारे राजनाथ
- किसान / महात्मा गांधी / रचनात्मक कार्यक्रम
- अतहि सुन्दर पालना
- नीला सोना / अफलातून
- खेती किसानी के संकट को कैसे समझे? – सुनील
- खाद्यान्न असुरक्षा में 2007 से अडाणी को जोड़ीदार बना चुकी है सरकार
- अखिल भारत शिक्षाधिकार मंच का डॉ स्वाति पर बयान
- लक्ष्मण रेखा के पार / डॉ. स्वाति
- व्यवस्थाओं का पोल खोलती कोरोना का कहर और सजप की पहल
- राष्ट्रीय विपदा में राष्ट्रीय सरकार: समाजवादी जन परिषद/ National Government during National Crisis
- लूनावाडा की अनाम बहन के नाम पत्र
- कोरौना काल पर अफ़लातून से आकाशवाणी के अरुण पांडे की रेडियो वार्ता
- राष्ट्रीय संकट में राष्ट्रीय सरकार : सजप की मांग
- व्यवस्थाओं का पोल खोलती कोरोना का कहर और सजप की पहल
- इस बुरे वक्त में / राजेन्द्र राजन
- क्या सिर्फ़ काग़ज़ात पूछोगे?
- जीवंत लोकतंत्र और मीडिया : रवीश कुमार द्वारा 6ठा सुनील स्मृति व्याख्यान
- अयोध्या फैसले पर समाजवादी जन परिषद
- नानक,कबीर और अम्बेडकर
- इतिहास से सबक / बाबरी मस्जिद / अफ़लातून
- जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति से छेड़छाड़ भाजपा की धूर्त और गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई – समाजवादी जन परिषद
- फिर न आए रॉलेट एक्ट,फिर न हो जलियांवाला बाग नरसंहार
- चौकीदारी , नरेंद्र मोदी की
- फिर वही धमक / अफ़लातून
- तैयारी तो उसकी रहनी चाहिए
- चुनाव के माध्यम से उखाड़ फेंको
- जिसकी लाठी उसकी भैंस
- क्या समर्थन मूल्य बढ़ाने से किसानों की समस्याओं का हल संभव है? ✍ विवेकानंद माथने
- तूतिकोरिन, तमिलनाडु में नरसंहार और बनारस में फ्लाईओवर हादसा: हमारे सवाल, क्या सरकारें देंगी जवाब!
- साथी भाई वैद्य अमर रहें
- लोकतांत्रिक राष्ट्र में भाषा की उपेक्षा ने रोकी प्रगति: विजय नारायण
- फसल बीमा योजना: किसानों को लूट कर बीमा कंपनियों को एक साल में 12395 करोड रुपयों का लाभ पहुंचाया गया
- समाजवादी जन परिषद ,रांची प्रस्ताव
- केंद्रीय गृहमंत्री और ओडिशा के मुख्यमंत्री को नियमगिरि के मसले पर खुला पत्र / समाजवादी जन परिषद
- राजनैतिक-आर्थिक प्रस्ताव ,समाजवादी जन परिषद के जटेश्वर,जि अलीपुरद्वार ,पश्चिम बंग में हुए 11वें द्विवार्षिक सम्मेलन में पारित
- हिन्दी संग्रामी श्यामरुद्र पाठक गिरफ्तार/नेरेन्द्र मोदी को लिखा उनका पत्र
- बौद्ध-धर्म और कम्युनिज्म / बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर
- नोटबंदी एक मूर्खतापूर्ण कदम है . इससे गरीब सबसे ज्यादा कष्ट झेलेंगे: प्रोफेसर अरुण कुमार
- खादी की बरबादी / अफलातून
- देश की वर्तमान हालात पर समाजवादी जनपरिषद
- नोटबन्दी के बाद ,फेसबुक पर
- कर चोरी के खिलाफ युद्ध या कर डकैतों की सुरक्षा?
- नोटबन्दी पर सजप का एक त्वरित नोट
- NDTV पर हमले के प्रतिकार का प्रसंग पूरी तरह पवित्र नहीं हो पा रहा
- वेदांत विरोधी आंदोलन से जुड़े युवा की सुरक्षा-बल द्वारा हत्या
- म प्र के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश रावल का सुनील को लिखा ‘बहुत जरूरी’ पत्र
- We don’t recruit Muslims: Ayush Ministry/An investigative story by Pushp Sharma
- क्या निर्भया इतने भर से सुरक्षित रहेगी? – प्रियदर्शन / सामयिक वार्ता
- परमाणु ऊर्जा, जन व पर्यावरण का विनाश और मोदी सरकार/कुमार सुन्दरम /सामयिक वार्ता
- लाठीतंत्र में शिक्षा का मसला /सुयश सुप्रभ/सामयिक वार्ता
- मेधा के उत्पीडन से सबक /संपादकीय/सामयिक वार्ता
- तुम थे हमारे समय के रडार / राजेंद्र राजन
- नई पगडंडियां बनाने वाला साथी सुनील
- दिल्ली का सबक – भारत को तुरत अपनी FPTP चुनाव पद्धति को बदल कर “आनुपातिक प्रतिनिधित्व” (Proportional Representation) लाना जरूरी है.
- Make No Mistake. This Is Modi’s Defeat
- शिक्षा की दुकानदारी : सुनील
- From a Professor to a Showman: Kishen Pattnayak on Prannoy Roy
- भारत – पाक वार्ता की विफलता पर समाजवादी जनपरिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ चन्द्रभूषण चौधरी
- भ्रष्टाचार की जड़ें (३) / सच्चिदानंद सिन्हा
- बनारस की जनता से साझा संस्कृति मंच की अपील
- लड़ेंगे तुमसे कदम – कदम पर
- सहयोग की अपील
- बैतूल लोकसभा उम्मीदवार फागराम का साथ देंगे?
- शराब दुकान के खिलाफ महिलाओं का गाँधीवादी सत्याग्रह /?//
- केजरीवाल की पार्टी की गुण्डागर्दी का विरोध करें, इनके असली चेहरे को पहचानें, दिल्ली के मज़दूरों की न्यायसंगत माँगों का पुरजोर समर्थन करें!
- मैं आआपा में क्यों नहीं ? – संदीप पाण्डे , राष्ट्रीय संयोजक,लोक राजनीति मंच
- महा बैंक डकैती / सुनील
- देश को बदलना है तो राजनीति को भी बदलना होगा
- आधुनिक प्रबन्धन , पूंजीवाद और रेल / पुष्पमित्र
- आआपा का Vigilantism / सत्येन्द्र रंजन
- नियमगिरी की जीत जनता की जीत है \ नौ लोक सभा सीटोपर चुनाव लड़ेगी सजप
- फिर न हो मुजफ्फरनगर / समाजवादी जनपरिषद
- 2013 मेरे ब्लॉग की गतिविधि की समीक्षा
- देश में वैकल्पिक तीसरी ताकत जरूरी है
- एक नये दल की बाबत किशन पटनायक की हिदायत
- नई तालीम के तजुर्बेकार सिपाही
- निजता बनाम सुरक्षा
- मृत्यु से तीन माह पूर्व सरदार का भाषण,२-१०-‘५०,इंदौर
- हैदराबाद,पूर्वी बंगाल,पटेल और सुहरावर्दी / अफलातून
- सजप / मुजफ्फरपुर बैठक की रपट और प्रस्ताव
- राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति का मसविदा: टिप्पणी / सुनील
- शहीद डॉ डाभोलकर पर डॉ अनन्त फड़के
- सामयिक वार्ता / पीडीएफ में
- समाजवादी जनपरिषद ,राष्ट्रीय सम्मेलन – वाराणसी, राजनैतिक प्रस्ताव
- समाजवादी जनपरिषद/राष्ट्रीय परिपत्र #1
- किशन पटनायक का मित्रों के नाम व्यक्तिगत पत्र
- खामोशी को खामोशी का सहारा / राकेश भट्ट / गांधी-मार्ग
- संगठन मंत्री साथी विक्रमा मौर्य पर प्राणघातक हमला/ साथ दीजिए
- विदेशी पूंजी का महाभूत / ले. सुनील
- बराबरी व पारस्पिक सहयोग से बनेगा विकास का नया मॉडल: सिन्हा
- जमीन से न जुड़े लोगों में उतवलापन होता है – चंचल मुखर्जी , सजप नेता
- परमाणु बिजली पर नोम चोम्स्की और एक बहस (कुमार सुन्दरम की काजल कुमार से )
- केजरीवाल एण्ड कं के समक्ष आठ सवाल
- यह चूक नहीं महाभूल है , अरविन्द केजरीवाल
- वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलनकारी प्रोफेसर बनवारीलाल शर्मा नहीं रहे
- कविता / तुम थे हमारे समय के राडार / राजेन्द्र राजन
- प्रेस की आजादी पर गांधीजी
- असम / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- विचारों का गला घोंटना आधुनिक रोग: योगेंद्र यादव
- सोने की माया में फंसा भारत – सुनील –
- वर्तमान सभ्यता का मूल रोग और इसका समाधान – सच्चिदानंद सिन्हा –
- वाराणसी कैन्ट से समाजवादी जनपरिषद का विधान सभा चुनाव खर्च और आय का ब्योरा
- चुनाव का तजुर्बा
- 1350
- हम क्यों चुनाव लड़ रहे हैं ?
- प्रेक्षकों को राजनीति की ट्रेनिंग दें और प्रत्याशियों को प्रशिक्षित हिसाबनवीस
- उ.प्र मुख्य चुनाव अधिकारी की वेबसाईट पर अद्यतन मतदाता-सूची नहीं ! : अफलातून
- फिर धीरे-धीरे यहां का मौसम बदलने लगा है
- गांधी और संघ /एक बहस / साभार- जनसत्ता
- प्रत्यक्ष पूंजी निवेश : एक सच, तीन झूठ : ले. सुनील : साभार- अमर उजाला
- भारत की जनता पर एक और हमला: खुदरा व्यापार में विदेशी कम्पनियां
- रोजगार, राहुल और गांधी : सुनील
- वॉल मार्ट : कम कीमत की ऊंची लागत : वृत्त – चित्र
- श्री लालकृष्ण आडवाणी जी के नाम खुला पत्र
- कांशीराम की पुण्य तिथि पर
- शहीद शंकर गुहानियोगी : रचना और संघर्ष का बेमिसाल मेल
- फेसबुक पर लिखने पर नीतीशराज में दो लेखकों का निलम्बन / प्रमोद रंजन
- समाजवादी जनपरिषद के साथी प्रवीण वाघ नहीं रहे
- गुजरात नरसंहार: बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी / लेखक- नचिकेता देसाई
- अराजनीति के खतरे
- जन शक्ति के दबाव का असर
- क्या-क्या कहते हैं मेरे चिट्ठों के आंकडे ,अपने पाठकों की बाबत
- मेरे चिट्ठों से जुडे कु्छ अद्यतन आंकडे
- मेरी हिन्दी चिट्ठेकारी के छठे साल की शुरुआत पर
- अण्णा से अपील : समाजवादी जनपरिषद
- जनतंत्र का भविष्य / भाग २ / किशन पटनायक / भिक्षु , ब्राह्मण , बिशप /
- जनतंत्र का भविष्य / किशन पटनायक / साभार ’दूसरा शनिवार’(सितम्बर १९९७) : सम्पादक – राजकिशोर
- जातिवार जनगणना की गंभीर खामियां; जनहित अभियान
- आधुनिक भारत में जमीन का महाभारत उर्फ़ भट्टा परसौल का सच / सुनील
- भारतीय भाषा परिषद की दुर्गति / ले. अशोक सेक्सरिया
- भ्रष्टाचार की जड़ें (२) / सच्चिदानन्द सिन्हा
- भ्रष्टाचार की जड़ें / सच्चिदानन्द सिन्हा
- भ्रष्टाचार / तहलका से उठे सवाल (३) / राजनैतिक समूहों में सदाचार के आधार किशन पटनायक
- भ्रष्टाचार / तहलका से उठे सवाल (२) (सेना में भ्रष्टाचार)/ किशन पटनायक
- भ्रष्टाचार/ तहलका से उठे सवाल (१) / किशन पटनायक
- भ्रष्टाचार / असहाय सत्य (२) / किशन पटनायक
- भ्रष्टाचार / असहाय सत्य (१) / किशन पटनायक
- भ्रष्टाचार की बुनियाद कहाँ है ? (४) किशन पटनायक / राष्ट्रीय चरित्र,व्यक्ति आचरण,सांस्कृतिक आन्दोलन
- जापान में तबाही: परमाणु ऊर्जा पर पुनर्विचार की जरूरत : -संघमित्रा देसाई
- भ्रष्टाचार की बुनियाद कहां है ? (३) / किशन पटनायक / आर्थिक गैर बराबरी , विलासिता
- भ्रष्टाचार की बुनियाद कहाँ है ? (२)पेंशन , पटवारी, जवाबदेही / किशन पटनायक
- भ्रष्टाचार की बुनियाद कहां है ? (१)/ किशन पटनायक
- मिस्त्र-ट्यूनीशिया के बरक्स जनक्रान्ति की भारतीय चुनौती : सुनील
- मुजफ़्फ़रपुर एस्बेस्टॉस कारखाने पर वक्तव्य
- इंडिया का विकास , भारत की महंगाई (महंगाई के मौजूदा दौर की एक पड़ताल) :ले. सुनील
- बेवजह लागू धारा १४४ : बसपाई तानाशाही का नमूना
- भारतीय लोकतंत्र की असली कसौटी आदिवासी है : -सुनील-
- ठंड से मृत्यु : रघुवीर सहाय
- 2010 in review
- सुरेन्द्र मोहन को समाजवादी जनपरिषद की श्रद्धान्जलि
- लक्ष्मी चन्द जैन : एक साक्षात्कार
- अंगूठा – काट कपड़ा- नीति पर समझदार आवाज थम गई
- संवाद से ही रुकेगा दमन / अफ़लातून
- अयोध्या फैसले पर समाजवादी जनपरिषद का वक्तव्य
- ‘क्या मेरे निमन्त्रण पर पटरी व्यवसाई ,नगर में आए थे?’-एक गैर जिम्मेदार जिलाधिकारी का बयान
- विध्वंस के बाद / ज्ञानेन्द्रपति
- नीले सोने पर कारोबारियों की नजर / रविवारी जनसत्ता/अफ़लातून
- साथी जोशी जेकब गिरफ़्तार
- बैंगन बना बेगुन / नीला हार्डीकर / ’गांधी – मार्ग ’
- विदेशी कर्ज से विदेशी पूंजी के फंदे तक : सुनील
- कहाँ से पहुँचे पाठक यहाँ
- किन शब्दों की खोज में यहां पहुंचे पाठक
- गत चार वर्षों की टॉप पोस्ट्स
- जाति जनगणना: बायोमैट्रिक के नाम पर धोखा : दिलीप मंडल
- खेल महायज्ञों के सफेद हाथी : सुनील
- भोपाल-तीन : राजेन्द्र राजन
- जब दवा ही मर्ज बन जाए (बुनियादी संकटों के तकनीकी समाधान नहीं हो सकते) / – सुनील –
- अम्बेडकर – लगन चालू है , सिकुड रही है गेहूँ की खरीद नीति
- डॉ . अनुराग की जरूरी टिप्पणी पर गौर करें
- निरुपमा की मौत के बाद/स्त्री पुरुष सम्बन्ध पर लोहिया
- लाड़ले और सौतेले बच्चे (मॉडल स्कूल या शिक्षा का दोषपूर्ण मॉडल) – सुनील –
- एनजियोकरण और विदेशी हाथ / सुनील
- दन्तेवाड़ा (२) : विकल्प की चुनौतियाँ / सुनील
- दन्तेवाड़ा की जड़ें / सुनील
- बाबा साहब अम्बेडकर का एक जरूरी व्याख्यान
- हिंसक रणनीति की सीमा
- खनिज सम्पदा की लूट और कलिंगनगर पर दूसरा हमला
- साध्य नहीं साधन है महिला आरक्षण भी
- पिछड़े नेता और औरत के लिए आरक्षण
- स्त्रियाँ : गाँधीजी : अनु. काशीनाथ त्रिवेदी
- माँग रहा है हिन्दुस्तान ,सबको शिक्षा एक समान
- इक्कीसवीं सदी में पूंजीवाद की समझ और समाजवाद की तलाश : लोहिया की मदद से/ लेखक -सुनील
- केरल में राष्ट्रीय आन्दोलन की याद में
- एक नदी थी जहाँ अब हाइ-स्कूल ,खेल का मैदान और मछली बाजार हैं
- दस नम्बरी अध्यक्ष और सैमसुन्ग – साहित्य अकादमी गठजोड़ / जनसत्ता / अफ़लातून
- राष्ट्रमण्डल खेल बनाम शिक्षा का अधिकार
- ‘रक्षा कवच’ क्या दान दे दिया गया है , ममता बनर्जी ?
- मुम्बई के आतंकी हमले पर अमेरिका में आरोप पत्र
- मध्यप्रदेश में नई राजनीति की शुरूआत : बाबा मायाराम
- वरिष्ट समाजवादी अश्विनी कुमार नहीं रहे
- कोपेनहैगन : राष्ट्राध्यक्ष इतिहास न बना सके लेकिन जनता ने बनाया
- पत्रकार / चिट्ठेकार बाबा मायाराम की पुस्तक का लोकार्पण
- इरोम शर्मिला को बचायें ,’आफ़्स्पा’ हटायें :ऑनलाईन प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करें
- आफ़्स्पा ( AFSPA ) के खिलाफ़ धरना और सभा
- राजनीति का धंधा और धंधे की राजनीति : ले. सुनील
- भोपाल गैस काण्ड : पच्चीस वर्ष : कवितायेँ : राजेन्द्र राजन
- आर.एस.एस , भाजपा को कुम्हला देने वाले आरोप , लेकिन कार्यवाही की सिफारिश – सिफ़र ! – सिद्धार्थ वरदराजन , डेप्युटी एडिटर – द हिन्दू द्वारा समाचार विश्लेषण
- कुमारेन्द्र सेंगर चाहते क्या हैं?महान स्त्रियों के बारे में बताना या स्त्रियों को नीचा दिखाना?
- इरोम शर्मिला का सत्याग्रह:सैन्य दमन के खिलाफ़ बहादुराना प्रतिरोध
- शिवराज सरकार का दमनकारी चेहरा
- क्या माओवादियों ने चीन के विकास पर ध्यान दिया ? -सच्चिदानन्द सिन्हा
- झा्रखण्ड के बहाने – आज के प्रश्न और विकल्प की तलाश / सच्चिदानन्द सिन्हा
- इलाहाबाद गोष्ठी / स्फुट झलकियाँ /स्फुट विचार
- एक शिक्षक कैसे पढ़ाएगा पांच कक्षाओं को?/उजड़े उखड़े गाँव की कहानी/बाबा मायाराम
- सिंथेटिक वस्त्र : एक महिला सामाजिक कर्मी का नोट / नीला हार्डीकर
- जयप्रकाश : जन्मजात योद्धा : महात्मा गांधी
- मों ब्लां कलम-कम्पनी से तुषार गांधी ने ७२ लाख रुपये लिए हैं
- डाक से प्राप्त दो महत्वपूर्ण टिप्पणियों को सलाम
- खादी की राखी और खादी की रक्षा
- संकट में है शिक्षक, शिक्षक नामक जंतु व शिक्षक प्रजाति बचेगी या नहीं ? – सुनील –
- शमीम मोदी पर हमले की जाँच सी.बी.आई को
- कहाँ गईं देश की दालें ? – सुनील
- शिक्षा अधिकार विधेयक एक छलावा है, शिक्षा का बाजारीकरण एक विकृति है,
- शमीम मोदी पर प्राण घातक हमला
- अमीरों की शिक्षा, गरीबों का झुनझुना :प्रस्तावित शिक्षा अधिकार विधेयक की एक समीक्षा / लेखक- सुनील
- शिक्षा अधिकार विधेयक एक छलावा है
- बेतूल : महिला अत्याचार रपट : शिउली वनजा
- कांग्रेस के झूठ को पहचानना जरूरी है
- नर – नारी समता और निजी कानून (३) , ईसाई और पुर्तगाली कानून : ले. डॉ. स्वाति
- नर-नारी समता और निजी कानून (२) : ले. डॉ. स्वाति
- नर – नारी समता और निजी कानून : डॉ. स्वाति
- सूअर – ज्वर या सभ्यता – ज्वर ? (2) ले. सुनील
- सूअर-ज्वर या सभ्यता का ज्वर -? ले. सुनील्
- प्रजातंत्र और धनतंत्र : लेखक – किशन पटनायक
- स्विस बैंक ने खाते उद्घाटित करने से इन्कार किया
- प्रेस परिषद चुनाव में मीडिया के -अतिव्यावसायी करण पर गंभीर
- लखनऊ के पाठकों से विनम्र निवेदन
- ‘हिन्द स्वराज’ का रूप और प्रेस की आजादी पर गांधीजी
- परचे बाँटने वालों की तरह अब ’हिन्दुस्तान’ भी बैक-फ़ुट पर ?
- बाबासाहब की जन्मतिथि पर दलित नेता की हत्या
- सुभाष ठाकुर का मुरली जोशी के लिए फरमान
- लोगों की एक गंभीर भूल : महात्मा गांधी
- अपराधियों की ही जाति होती है
- चुनाव से सम्बन्धित रिपोर्टिंग के लिए प्रेस परिषद के दिशा – निर्देश
- चुनावों में अखबारों की गलीज भूमिका
- कोका कोला का प्रवक्ता कांग्रेसी उम्मीदवार
- ‘ दूसरा संजय गांधी है ‘
- पहली बार नेट पर सम्पूर्ण मतदाता सूची
- गोपनीय स्विस बैंक खातों की जानकारी संभव ?
- जारी है पूंजी का ‘आदिम संचय’ प्राकृतिक दोहन द्वारा:ले. सुनील (३)
- अर्थशास्त्र – मार्क्स , लोहिया से आगे (२): आंतरिक उपनिवेश,ले. सुनील
- अर्थशास्त्र : मार्क्स और लोहिया से आगे. लेखक सुनील
- अर्थशास्त्र , मार्क्स और लोहिया के आगे – सुनील
- शमीम मोदी की रिहाई का आदेश
- चिट्ठालोक की चेतना को प्रणाम
- शमीम की गिरफ़्तारी पर NDTV
- दो कविताएं : श्रेय , चिड़िया की आंख , राजेन्द्र राजन
- ‘सत्याग्रही’ शिवराज के राज में
- ख़िलाफ़त के दौर में
- यह सिर्फ़ अफवाह ही हो सकती है कि…
- ‘ भारतमाता की जय ‘
- मीडिया और सेक्स-उद्योग की मन्दी और विकृतियाँ
- बगलें झांकते विद्वान : ले. सुनील
- भारतीय बुद्धिजीवियों का विदेश-प्रेम : सुनील
- अयोध्या , १९९२ : कुँवरनारायण
- मेहनतकशों को शोषण और आमदनी की बराबरी:म.प्र. विधान सभा चुनाव ,सजप घोषणापत्र(७),छ: सूत्र
- कुंवर नारायण की तीन कविताएं (ज्ञानपीठ की घोषणा की खुशी में)
- असंगठित मजदूर , छठवां वेतन आयोग , स्विस बैंकों में बंद पैसा , भ्रष्टाचार के योगीराज:घोषणापत्र(६)
- म्ध्यप्रदेश : महिलाएँ ,युवा, सामाजिक सेवाएँ :घोषणापत्र(५)
- मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव २००८: अल्पसंख्यक,साम्प्रदायिकता : घोषणापत्र (४)
- मध्यप्रदेश : आदिवासियों और दलितों के सवाल:घोषणापत्र(३)
- म.प्र की विकास और कृषि नीति : घोषणापत्र (२)
- म.प्र. विधानसभा चुनाव: घोषणा पत्र क्यों ?
- ओबामा प्रशासन के समक्ष चुनौतियाँ :सिद्धार्थ वरदराजन
- नई दुनिया की ओर दस कदम : सिद्धार्थ वरदराजन
- ‘आधुनिक तीर्थों’ के ‘पण्डा’ ?
- आज़ाद भारत के भारतीय लुटेरों का कर-स्वर्ग : ले. सुनील
- कौन कहता है भारत गरीब है ?- ले. सुनील
- आइसलैण्ड ही क्यों हुआ लगभग दिवालिया?नवीन पटनायक,समझें
- प्रकृति को हक़ देने वाला पहला देश : इक्वाडोर
- अबला कहना अपराध है : महात्मा गांधी
- ‘नाजुक दौर में है अमरीकी अर्थव्यवस्था’ : बुश
- साम्राज्यवाद को चुनौती सिर्फ मुसलमानों से : किशन पटनायक
- मुसलिम नौजवानों-‘भागो मत , दुनिया को बदलो !’
- राष्ट्रतोड़क – राष्ट्रवाद को और पहचानें
- इंग्लैण्ड और अमरिका जैसा बनाने का मतलब
- इन्स्टीट्यूट ऑफ़ साइन्स बैंगलोर में गांधी
- एक हिटलर-प्रेमी ‘गुरुजी’
- कविता / इतिहास पुरुष अब आएं / राजेन्द्र राजन
- मतगणना नहीं जनगणना में भाग लेना न भूलें
- नेपाल के माओवादियों से कुछ बुनियादी सवाल/सुनील
- ‘सुरक्षित फौज’ और नेपाली समाजवाद का भविष्य/ सुनील
- नेपाली माओवादियोँ की दुविधा और नजरिए का दोष / सुनील
- चिट्ठेकारी का दूसरा साल
- महादेव देसाई (२) : प्रभाकर माचवे
- तत्वज्ञानी महादेव देसाई : प्रभाकर माचवे
- चेर्नोबिल यत्र तत्र सर्वत्र
- फिर न हों हिरोशिमा ,नागासाकी ,चेर्नोबिल(बीबीसी डॉक्युमेन्टरी)
- कोला कम्पनियों की करतूतें
- दो वर्षों में यूरेनियम ७ डॉलर से १५० डॉलर प्रति पाउन्ड
- परमाणु बिजली की कीमत के बारे में बेवकूफ़ बनाते हैं
- ‘बिजली मुफ़्त बँटेगी’
- परमाणु बिजली न सस्ती है,न सुरक्षित,न स्वच्छ
- जल्दी में : कुंवर नारायण
- मिथुन दर्शनं मंगलम्
- प्रकाश व ऊष्मा , ज्ञान व कर्म, बुद्धि व भावना,शक्ति व भक्ति
- उसका सौन्दर्य रोज नया – नया ही लगता है
- सूर्य हमारा परम मित्र
- अयोध्या , १९९२ : कुँवरनारायण
- यह सिर्फ शब्दों से नहीं होगा : राजेन्द्र राजन
- शब्द , शब्द को पुकारते हैं : राजेन्द्र राजन
- असल कश्मीरियत
- उपभोक्तावाद का परिष्कार या निसर्गोपचार ?
- खाद्य संकट पर पहल करें
- ‘चरखा’ वाले अमन के ‘जज्बात’ की कद्र करें
- पत्रकारीय लेखन किस हद तक साहित्य
- गांधी , अम्बेडकर और मिट्टी की पट्टियाँ (७) : अफ़लातून
- गांधी , अम्बेडकर और मिट्टी की पट्टियाँ(६) : क्या ‘हरिजन’ शब्द शाश्वत रहे?
- गांधी , अम्बेडकर और मिट्टी की पट्टियाँ (५) : अफ़लातून
- गांधी , अम्बेडकर और मिट्टी की पट्टियाँ (4 ): मनु स्मृति , गीता आदि:अफ़लातून
- गांधी , अम्बेडकर और मिट्टी की पट्टियाँ (३) : अफ़लातून
- गांधी , अम्बेडकर और मिट्टी की पट्टियाँ (२) : अफ़लातून
- गांधी – अम्बेडकर और मिट्टी की पट्टियाँ : अफ़लातून
- बाबा साहब डॉ . भीमराव अम्बेडकर की चेताने वाली कथा (२) : ले. महादेव देसाई
- डॉ. अम्बेडकर : एक चेताने वाली कथा : ले. महादेव देसाई
- शिक्षा , मलाईदार परतें और गैर आरक्षित क्रीमी लेयर
- गांधी – नेहरू चीट्ठेबाजी (पूर्णाहुति , ले. प्यारेलाल से)
- ‘शेक्सपियर गुजर गए ,कीट्स नहीं रहे,मेरी तबीयत भी कुछ नासाज़-सी है’-मार्क ट्वेन
- चरम गुलामी : जब गुलामी भाने लगती है , बौद्धिक साम्राज्यवाद(३):अफ़लातून
- बौद्धिक साम्राज्यवाद..(२) : जिनका भाँडा फूट चुका है- अफ़लातून
- बौद्धिक साम्राज्यवाद की शिनाख्त : अफ़लातून
- नन्दीग्राम पर मानवाधिकार आयोग
- नौ ऑनलाइन पुस्तिकाएँ
- पानी की जंग : ले. मॉड बार्लो , टोनी क्लार्क
- कोला कम्पनियाँ – रँगभेद अौर खाद्य मानकोँ मेँ दखल
- गाँधी – नेहरू चिट्ठेबाजी (‘पूर्णाहुति’ , ले. प्यारेलाल )
- कोला कम्पनियों द्वाराश्रमिकों की हत्या , उत्पीड़न
- कोला कम्पनियों की करतूतें
- कविता : इतिहास में जगह : राजेन्द्र राजन
- भोगवाद और ‘ वामपंथ का व्यामोह ‘ (३) : ले. सुनील
- वामपंथ का व्यामोह (२) : ले. सुनील
- वामपंथ का व्यामोह : ले. सुनील
- हमने मोदी को वोट क्यों दिया : त्रिदिप सुहृद
- मोदी की जीत गुजरात की शर्मनाक हार है
- भारत का कुलीकरण (अंतिम) :टेक्नो बाबू का उदय : गंगन प्रताप
- सर्वत्र भारतीय – कुली,भाड़े पर,
- भारत का कुलीकरण : लेखक – गंगन प्रताप
- अहमद पटेल के भरोसे नरेन्द्र मोदी
- बम धमाके : सच के अंश वाली अफवाहें
- तेलुगु कहानी (२) : मैं कौन हूँ : पी. सत्यवती :अनुवाद – जे. एल. रेड्डी
- तेलुगु कहानी : मैं कौन हूँ : पी. सत्यवती :अनुवाद- जे.एल.रेड्डी
- नई राजनीति के नेता : जुगलकिशोर रायबीर
- ‘नारी के सहभाग बिना , हर बदलाव अधूरा है ।’
- मायावती और चरखा
- अमृत घूंट (४) : ले. नारायण देसाई ( प्रश्नोत्तरी )
- अमृत घूंट (३)[चार्ली चैप्लिन और बर्नॉर्ड शॉ से भेंट] : ले. नारायण देसाई
- अमृत घूंट (२) : ले. नारायण देसाई
- अमृत घूंट : ले. नारायण देसाई
- खेती की अहमियत और विकल्प की दिशा:ले. सुनील(६)
- औद्योगिक सभ्यता के निशाने पर खेती-किसान : ले.सुनील (५)
- औद्योगिक सभ्यता ,गाँधी ,नए संघर्ष : ले. सुनील(४)
- ‘पूंजी’,रोज़ा लक्ज़मबर्ग,लोहिया : ले. सुनील (3)
- नारोदनिक,मार्क्स,माओ और गाँव-खेती : ले. सुनील
- औद्योगीकरण का अन्धविश्वास : ले. सुनील
- म.प्र. राज्य सुरक्षा अधिनियम : दुरुपयोग द्वारा दमन: ले. सुनील
- ‘लोकतंत्र का जिला-बदर’ : ले. सुनील
- साल-भर की चिट्ठेकारी
- ‘ नारी हानि विसेस क्षति नाहीं ‘
- कत विधि सृजी नारि जग माहि ?
- गोस्वामी तुलसीदास का छद्म सेक्युलरवाद
- तीन बागी गायक
- दिल्ली चिट्ठाकार – मिलन : एक अ-रपट
- ‘चिट्ठाजगत’ का प्रतिदावा
- ” आप चिट्ठाजगत पर क्या-क्या कर सकते हैं”
- ब्लागवाणी क्यों?
- गीकों की ‘गूँगी कबड्डी’
- अखबारनवीसी – सलीम शिवालवी
- रघुवीर सहाय : तीन कविताएँ
- " डबल जियोपार्डी " नारद की राहुल पर
- प्रतिबन्धित पुस्तिकायें,एक किस्सा और एक खेल
- रविजी , आप भी न भूलें, भागिएगा भी नहीं
- हत्यारों का गिरोह
- अकाल तख़्त को माफ़ी नामंजूर ?
- अपठित महान : महा अपठित
- चिट्ठे इन्कलाब नहीं लाते !
- गांधी से प्रभावित किसान नेता के बहाने
- ‘खुले विश्व’ के बन्द होते दरवाजे
- ईसाई और मुसलमान क्यों बनते हैं ? – स्वामी विवेकानन्द
- ‘राष्ट्र की रीढ़’ : स्वामी विवेकानन्द
- "हिटलर के नाजियों और मुसोलिनी के फासिस्टों ने भी यही किया था"
- हम इस आवाज का मतलब समझें
- मौजूदा चुनाव के लोकतंत्र विरोधी संकेत
- सलमान खुर्शीद और चुनाव आयोग का मनमानापन , विभेद
- ‘विकास’ बनाम वू पिंग का व्यक्तिगत सत्याग्रह
- सीख वाले खेल और गैर – जवाबदेह चुनाव आयोग
- ‘ गन – कल्चर ‘ पर चर्चा
- पूर्वी उत्तर प्रदेश में चुनावी राजनीति में आई गिरावट
- मीडिया प्रसन्न , चिट्ठेकार सन्न ….
- चिट्ठेकारी सम्मोहक आत्ममुग्धता की जनक
- विधानसभा में विपक्ष में बैठेंगे, हम
- राजनीति में मूल्य (शेष भाग) : किशन पटनायक
- राजनीति में मूल्य : किशन पटनायक
- ‘आरक्षण की व्यवस्था एक सफल प्रयोग है’
- सेज विरोधी आन्दोलन की नन्दीग्राम में आंशिक सफलता
- क्या, फिर इन्डिया शाइनिंग ?
- नन्दीग्राम की शहादत से उठे बुनियादी सवाल
- कम्युनिस्ट देश और उपभोक्तावाद : उपभोक्तावादी संस्कृति (११) : सच्चिदानन्द सिन्हा
- भारत और उपभोक्तावादी संस्कृति : उपभोक्तावादी संस्कृति (१०) : सच्चिदानन्द सिन्हा
- समाजवादी कल्पना पर कुठाराघात : उपभोक्तावादी संस्कृति (९) : सच्चिदानन्द सिन्हा
- पूँजीवाद के संकट को टालने का औजार : उपभोक्तावादी संस्कृति (८) : सच्चिदान्द सिन्हा
- आदमी का अकेलापन , एकाकी सुख : उपभोक्तावादी संस्कृति (७) : सच्चिदानन्द सिन्हा
- वस्तुओं को जमा करने की लत,समता और बंधुत्व का लोप : उपभोक्तावादी संस्कृति (६) : सच्चिदानन्द सिन्हा
- उपभोक्तावादी संस्कृति(५):औद्योगिक मानसिकता, खोखलेलेपन का संसार :सच्चिदानन्द सिन्हा
- उपभोक्तावादी संस्कृति (४) : उपभोक्तावादी संस्कृति का विकास : सच्चिदानन्द सिन्हा
- महिला दिवस का ऐलान
- उपभोक्तावादी संस्कृति (३) : कृत्रिमता ही जीवन
- उपभोक्तावादी संस्कृति (२) : सच्चिदानन्द सिन्हा
- उपभोक्तावादी संस्कृति :गुलाम मानसिकता की अफ़ीम : सच्चिदानन्द सिन्हा
- मेरी चिट्ठाकारी और उसका भविष्य
- निजी जेल कंपनियों के कारनामे : दीपा फर्नाण्डीज़ : प्रस्तुति – अफ़लातून
- ये परदेसी जिन्दगी : आप्रवासियों के लिए निजी जेल : दीपा फर्नाण्डीज़ : प्रस्तुति – अफ़लातून
- ‘दो तिहाई आबादी को होगी पानी की किल्लत’
- आयात – निर्यात और मीडिया : किशन पटनायक
- जे.पी. और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
- चीन और विदेशी पूंजी : किशन पटनायक
- बैंक बीमा और पेटेंट : किशन पटनायक
- आर्थिक संप्रभुता क्या है ? : किशन पटनायक
- जगतीकरण क्या है ? : किशन पटनायक
- वैश्वीकरण : देश रक्षा और शासक पार्टियाँ : किशन पटनायक
- बातचीत के मुद्दे : किशन पटनायक
- वाल मार्ट पर लिंगभेद का बड़ा मामला
- युद्ध पर तीन कविताएँ , एक अनुवाद
- मैथिली गुप्तजी और पत्रकारिता
- गांधी – सुभाष : भिन्न मार्गों के सहयात्री (२)
- गांधी – सुभाष : भिन्न मार्गों के सहयात्री ,ले. नारायण देसाई
- क्या वैश्वीकरण का मानवीय चेहरा संभव है ? (७)
- क्या वैश्वीकरण का मानवीय चेहरा संभव है ? (६)
- क्या वैश्वीकरण का मानवीय चेहरा संभव है ? (५)
- क्या वैश्वीकरण का मानवीय चेहरा संभव है ? (४)
- क्या वैश्वीकरण का मानवीय चेहरा संभव है ? (३)
- क्या वैश्वीकरण का मानवीय चेहरा संभव है ? (२)
- क्या वैश्वीकरण का मानवीय चेहरा संभव है ? : सुनील
- ‘वेब पत्रकारिता का भविष्य उज्ज्वल’
- इन्टरनेट पर गांधी
- उदय प्रकाश की कविता : एक भाषा हुआ करती है
- विदेशी पूंजी से विकास का अन्धविश्वास (६)
- विदेशी पूंजी से विकास का अन्धविश्वास (५)
- प्लाचीमाडा की महिला नेता मायलम्मा
- विदेशी पूंजी से विकास का अन्धविश्वास(४)
- विदेशी पूंजी से विकास का अन्धविश्वास (३)
- विदेशी पूँजी से विकास का अन्धविश्वास (२)
- विदेशी पूंजी से विकास का अंधविश्वास : ले. सुनील
- भारत भूमि पर विदेशी टापू (५)
- मनुष्यता के मोर्चे पर : राजेन्द्र राजन
- भारत भूमि पर विदेशी टापू (४)
- भारत भूमि पर विदेशी टापू (३)
- भारत भूमि पर विदेशी टापू ( २ )
- भारत भूमि पर विदेशी टापू
- कुछ और विशेष क्षेत्र : ले. राजकिशोर ( सामयिक वार्ता में )
- ‘ परिचर्चा ‘ की जारी बहस
- ‘ परिचर्चा ‘ से साभार
- राधा – कृष्णों की फजीहत
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर : परिनिर्वाण दिवस पर
- आदिवासियों ने दिखाई गांधीगिरी
- जंगल पर हक़ जताने का संघर्ष
- गांधी पर बहस : प्रियंकर की टिप्पणियां
- गीता पर गांधी
- गांधी गीता और गोलवलकर
- कचरा खाद्य : मानकों का कचरा
- दोषसिद्ध रंगभेद
- श्रमिकों की हत्या , उत्पीडन
- स्कूलों में शीतल पेय
- शैशव में अतिक्रमण
- कोला कम्पनियों की करतूतें
- पानी की जंग : गोलबन्दिय़ां
- पानी की जंग ( गतांक से आगे )
- पानी की जंग , ले.- मॊड बार्लो , टोनी क्लार्क
- राष्ट्रपिता : गुरुदेव ने नहीं नेताजी ने कहा
- गांधी पर
- गांधी – नेहरू चीट्ठेबाजी (पूर्णाहुति , ले. प्यारेलाल से)
- गुलामी का दर्शन : किशन पटनायक
- क्रांतिकारी दिनेश दासगुप्त :ले. अशोक सेकसरिया
- राज्य आयोग का ई-पता
- परिचर्चा पर बहस जारी है
- भाषा पर गांधी और लोहिया भी
- भाषा पर गांधी जी : एक बहस
- हिन्दी दिवस ( १४ सितंबर ): महात्मा गांधी के विचार
- मौन जुलूस
- बनारस तुझे सलाम !
- पानी की जंग पर राष्ट्रीय सम्मेलन
- रामगोपाल दीक्षित
- आगाज़
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