श्रेय
पत्थर अगर तेरहवें प्रहार में टूटा
तो इसलिए टूटा
कि उस पर बारह प्रहार हो चुके थे
तेरहवां प्रहार करने वाले को मिला
पत्थर तोड़ने का सारा श्रेय
कौन जानता है
बाकी बारह प्रहार किसने किए थे ।
चिड़िया की आंख
शुरु से कहा जाता है
सिर्फ चिड़िया की आंख देखो
उसके अलावा कुछ भी नहीं
तभी तुम भेद सकोगे अपना लक्ष्य
सबके सब लक्ष्य भेदना चाहते हैं
इसलिए वे चिड़िया की आंख के सिवा
बाकी हर चीज के प्रति
अंधे होना सीख रहे हैं
इस लक्ष्यवादिता से मुझे डर लगता है
मैं चाहता हूं
लोगों को ज्यादा से ज्यादा चीजें दिखाई दें ।
– राजेन्द्र राजन
कवि राजेन्द्र राजन की कुछ अन्य ताजा प्रकाशित कवितायें :
पेड़ , जहां चुक जाते हैं शब्द , शब्द बदल जाएं तो भी , पश्चाताप , छूटा हुआ रास्ता , बामियान में बुद्ध ,
बहुत आभार.
चिड़िया नही आँख देखते, उसका सब कुछ पढ़ लेते हैं।
भ्रम में मत रहना वे मन में, उसकी मूरत गढ़ लेते हैं।।
पत्थर को सब पता,
कहाँ किसने प्रहार किये हैं?
जिसने इसको तोड़ा,
उसने सारे श्रेय लिये हैं।।
पत्थर को सब पता, कहाँ किसने प्रहार किये हैं?
जिसने इसको तोड़ा, उसने सारे श्रेय लिये हैं।।
hi Rajan,
first poem (श्रेय) is really heart-touching.
with regads
Kulbir Dahiya
छोटी सी कविताओं में मानव समाज, उसकी किसी एक को विजयेता घोषित कर उसकी वंदना करने की चिर परम्परा की प्रवृत्ति पर बड़ा सटीक प्रहार है। हर विजयेता को बनाने में उससे पहले के लोग व साथ के लोग होते हैं यह हम कभी भी याद नहीं रखना चाहते। लक्ष्य के लिए भी चिड़िया की आँख के अतिरिक्त चिड़िया, पेड़, आसपास की अन्य वस्तुएँ, धनुष बाण व उसे बनाने वाला, धनुष बाण को बनाने वाला पहला व्यक्ति, गुरु व इस सारी व्यवस्था को चलाने वाले अनगिनत लोग जिनके बिना न कोई लक्ष्य भेदने वाला होता न ही लक्ष्य पाने की सोच। यदि साधारण न हो तो विशेष का कोई महत्व ही न रहे।
कविताएँ हम तक लाने के लिए धन्यवाद।
घुघूती बासूती
[…] दो कविताएं : श्रेय , चिड़िया की आंख , राज […]
[…] दो कविताएं : श्रेय , चिड़िया की आंख , राज […]
[…] […]
Rajan ji,
aapki kavitayein sochne ke liye majbur karti hai.
dost aap isi tarah likhte rahein.
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khemkaran ‘soman’
uttarakhand.
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