मौजूदा आम चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख दैनिक ’हिन्दुस्तान’ तथा ’दैनिक जागरण’ द्वारा चुनाव रिपोर्टिंग के प्रेस परिषद द्वारा जारी दिशा निर्देशों की खुले आम धज्जियाँ उड़ाने के बारे में मैंने ४ अप्रैल , २००९ को लिखा था । प्रेस परिषद की शिकायत प्रक्रिया के तहत मैंने उक्त दैनिकों के सम्पादकों से ऐसे आचरण पर तत्काल रोक लगाने की अपील भी की थी । यह उल्लेखनीय है कि हिन्दुस्तान के लखनऊ के स्थानीय सम्पादक श्री नवीन जोशी ने भी एकदा अखबारों के इस प्रकार के व्यावसायीकरण के खिलाफ़ अपनी लेखनी मजबूती से चलाई थी ।
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में मैंने कहा था कि चूँकि प्रेस परिषद में शिकायत की प्रक्रिया लम्बी है (पहले सम्पादक को लिखना आदि) इसलिए चुनाव आयोग तत्काल हस्तक्षेप करे । परसों शाम पहले चरण का प्रचार थमने के बाद १५ अप्रैल का जो हिन्दुस्तान आया उसके मुखपृष्ट पर प्रतिदिन की तरह दो टूक (पहले पन्ने पर छपने वाली सम्पादकीय टिप्पणी), सूर्योदय-सूर्यास्त का समय तथा तापमान,’हिन्दुस्तान की आवाज’(अखबार द्वारा कराये गये जनमत संग्रह का परिणाम तथा ’आज का सवाल’) एवं राजेन्द्र धोड़पकर का नियमित कार्टून स्तम्भ –’औकात’ छापे गये थे । इन नियमित तथा नियमित प्रथम पृष्ट होने का अहसास दिलाने वाले उपर्युक्त तमाम तत्वों के अलावा खबरों और चित्रों में जो कुछ छपा था आप खुद देख सकते हैं ।
आज मतदान का दिन है । अपने बूथ पर शीघ्र पहुंचने वाला मैं छठा मतदाता था । मतदान के बाद इत्मीनान से आज १६ अप्रैल ,२००९ का हिन्दुस्तान देखा जिसमें ’मुख्य सम्पादक’ ने एक ’माइक्रो नाप का स्पष्टीकरण छापा है । इसे भी आप चित्रों में देखें । सभी चित्रों को देखने के लिए चित्र पर खटका मारें । अलबम खुल जाने के बाद हर चित्र पर खटका मार कर बड़े आकार में देख सकते हैं ।
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वाराणसी लोक सभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार मुरलीमनोहर जोशी ने शुरुआत में इन अखबारों का प्रचार-पैकेज खरीदने से इनकार किया था लेकिन अन्तिम दौर में उन्होंने भी ’पैकेज” ग्रहण कर लिया ।
बहरहाल , दीवाल – लेखन और बैनर लेखन जैसे पारम्परिक प्रचार करने वाले मेहनतकशों को इस प्रक्रिया के बाहर ढ़केलने के बाद कथित निर्वाचन-सुधारों के तहत न सिर्फ़ बड़े अखबारों की तिजोरी भरी जा रही है , अखबारों की निष्पक्षता खत्म की जा रही है , भारी खर्च न कर पाने वाले प्रत्याशियों की खबरें ऐलानियां नहीं छप रही हैं तथा आम मतदाता – पाठक निष्पक्ष खबरें पाने से वंचित किया जा रहा है तथा इस प्रकार लोकतंत्र को बीमार और कमजोर करने में मीडिया का लोभी हिस्सा अपना घिनौना रोल अदा कर रहा है ।
समाजवादी जनपरिषद , उत्तर प्रदेश समस्त राजनैतिक दलों ,पत्रकार एवं नागरिक अधिकार संगठनों तथा जागरूक नागरिकों से अपील करता है कि (१) अध्यक्ष प्रेस परिषद ,६ कॉपर्निकस मार्ग,नई दिल्ली तथा (२) मुख्य चुनाव आयुक्त,भारत का निर्वाचन आयोग,निर्वाचन सदन,अशोक मार्ग, नई दिल्ली (ईमेल cecATeciDOTgovDOTin ) को इस प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए लिखें ताकि कुछ कमजोर चौथे खम्भों की यह हरकत रुके ।
अफलातून जी, आपने आवाज उठायी, मैं गौरवान्वित हू
दर्द का हद से गुजर जाना है दवा हो जाना
सो मानिये कि ये अखबार अब कुछ ही सालों के मेहमान है, इन चुनावों के बाद बस एक मध्यावधि चुनाव तक इन्हें और सह लीजिये, फिर उसके बाद हमें इनकी काली करतूतें नहीं देखनी पड़ेंगीं.
मैथिली जी की नातों से पूर्णतः सहमत होने की इच्छा हो रही है. और यकीन है इन अख़बारों का अन्ततः वही हश्र होगा जो होना ही चाहिये.
आप ने इस गम्भीर मुद्दे को उठाया, उसके लिए आपको धन्यवाद कहने के बजाय हम कर यह सकते हैं बल्कि करना ही चाहिये कि अपने अपने स्तर पर अख़बारों तक अपनी आपत्तियां दर्ज़ कराएं.
“…इन चुनावों के बाद बस एक मध्यावधि चुनाव तक…”
मैथिली जी, क्या ये आपकी भविष्यवाणी है? तब तो दुखद है. क्योंकि मध्यावधि में भी कोई नई बात, नए दल, नए चेहरे कहां से आ पाएंगे?
Centimeter aur column ke hisaab se vigyapan dene vale akhbaron ne inki kya kimat vasuli hogi socha ja sakta hai. Kai baar aisi khabron ke ant mein chote aakar mein ‘Vigyapan’ likh diya jata hai, magar is baar to yeh aupcharikta bhi 1 din baad puri ki gai !
aflatoon ji mudda uthane ke liye sadhuvad. bhrtiye loktantra ko punjisaho aur samrjayvad ki cheri or kathputli banane ke liye ese pryas TN Seshan ke karykal me hi shuru ho gaye the. parantu apna madhyam varg bada bhola he!! unhe chunav sudhar ke krantikari kadam mankar wah wah karne laga. vastav me aap dekhe ge to uske baad se chunav mehnge se mahngetar hote gaye. antarrastriye punji se chalne vala media print or electronic dono, apne aakao ke hit ki raksha karne wali partiyo ko badane me lage hue hain.
Maini tabhi Assi per Papu ki Duklan per hone wali charcha o me kaha tha ki Sesan ke yeh kadam vastav me loktantra ki jado me mattha dalnewale he.
ab garibo ki baat karne wali rajniti kamjor hoti jayegi.
ek baar phir mudda uthane ke liye sadhuvad.
Atal
अखबारी लालच को नई हदें पार करते देख कर दुख हुआ. बहुत कोशिश की लेकिन स्पष्टीकरण नहीं दिखा. क्या स्पष्टीकरण पढ़ने को मिल सकता है? देखना चाहता हूं कि इस कृत्य का कोई किस तरह बचाव कर सकता है.
मुद्दा थामे रहिये…
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद लखनऊ में मुख्य निर्वाचन आयुक्त गोपाल स्वामी के समक्ष एक दुस्साहसी पत्रकार ने अपनी नौकरी का जोखिम लेकर भी इस फरेबी स्पेस सेलिंग को रोकने की मांग की थी। स्वामी ने दांत चियार दिए कि इस मसले पर कार्रवाई का कोई कानून नहीं है। प्रेस कांउसिल भी चियार चुकी है क्योंकि यह नख-दंत विहीन संस्था है।
पाठकों के जागरूक प्रेशर-ग्रुप या वैकल्पिक मीडिया (जो दूर-२ तक कहीं परिदृश्य में नहीं) इन भारी पूंजी वाले अखबारों की इस हरकत पर अंकुश लगा सकते हैं। इसकी शुरूआत वन वे ट्रैफिक को तोड़कर उसे टू-वे बनाकर हो सकती है। यानि पाठक सिर्फ अखबार बांचे नहीं अपनी प्रतिक्रिया लिख भी कर दे और प्रेस जाकर मैनेजर-संपादक को धिक्कारने का काम करे।
@ सिरिल,
प्रमुख सम्पादक हिन्दुस्तान का स्पष्टीकरण यहाँ देख सकते हैं ।
आपको पुनः नमन और बधाई.
इसे ही लोकतंत्र में जनता की शक्ति कह सकते हैं. हमें जरूरत है आप जैसे प्रबुद्ध और जागरूक नागरिकों की. यदि सभी नागरिक ऐसा करने लगें तो अधिकांश समस्याएं चुटकी में हल हो जाएँ.
बेहद खेदजनक
aise aise khel har jagah kar rahi hai media. aflatoon jee, chunaw karobaar ka sabse bada madhyam ban gaya hai, lekin akhbaar waale netaon ke dohare charitra par roj kuchh na kuchh likhte hai.
neta kya aasmaan se aate hai, ham sab milkar unhe sikha rahe hai beimaani, thagi aur fraudism
तस्वीर को बड़ा कर देखा तो स्पष्टीकरण दिखा. ये विज्ञापन था? अगर ऐसा है तो कम से कम ऐसा स्पष्टीकरण तो छापते जो दिखाई देता… कितने लोगों ने उस विज्ञापन को खबर समझ कर पढ़ा होगा.
कौन कहता है आसमाँ में छेद नहीं होता ….
कोई कोशिश तो करे, आपने की और कामयाबी मिली। बधाई!
Loktantra ka chauttha stambh bhi dharashayi ho rah hai. Ab dar is baat ka hai ki loktantra bachega kaise.
Is andhergardi mein roshani ki choti si tili jalaane ka mahan kaam jari rakhen.
Fr. Anand
व्यवसायिकरण की माँग, और बच निकलने का भरोसा..
जो न करवाये, सहमत्ब हूँ कि विरोध प्रकट करना ही चाहिये
और दर्ज़ करा के चुप न बैंठें, यदि हमारे बीच के प्रबुद्ध जन..
मात्र एक वर्ष में समाज की दिशा में बदलाव आने लगेगा !
राहत लग रही कि यह सोच मुझ अकेले की ही नहीं है !
जय हो!
सर जी, इस हिंदुस्तान अखबार की पोल खोलने के लिए धन्यवाद। गाँधी जी के ज़माने का ये अखबार अब पूंजी के लिए कुछ भी करने के लिए तेयार है। बिरला जी कहा करते थे की हम पेसे के लिए अखबार नहीं चलाते लकिन अब तो पेसे के लिए ही सब कुछ चल रहा ह॥ इस अखबार में बेठे लोग अखबार की साख को बट्टा लगा रहे हैं। दुख तो होता है लकिन खुशी इस बात की है की गलत को गलत कहने वाले आप जेसे लोग अभी हैं
धरमेंदर यादव
यानि कि चौथा स्तम्भ भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया…। भ्रष्टाचार की जय हो। और भ्रष्टन की भी।
aj ki patrakarita ke hakikat ko apane sahsik dhang se uthaya hai. ap ki yah awaj ane wale dinon me ek andolan ka roop legi yah viswas hai. ap ki ladai ko mera samarthan.
अफलातून और राम इकबाल ने फूंका नई क्रान्ति का बिगुल
सचमुच अफलातून देसाई और बीजेपी नेता राम इकबाल सिंह बधाई के पात्र हैं। पीत पत्रकारिता के खिलाफ दोनों ने आवाज उठाने का जो साहस किया है वो आवाज आज नहीं तो कल परिवर्तन की भेरी बनकर गुंजेगी। मीडिया के नाम पर अखबार की दुकान चलने वाले जालसाजों ने इस चुनाव में ख़बर के नाम रूपया बटोरने का जो नंगा नाच खेला है उसका पोल इन दोनों ने जनता के सामने खोल दिया है। पैसा लेकर ख़बर के रूप में विज्ञापन और तो और अपने अखबार का मास्टर हेड तक कई वेश्या समान मीडिया मालिकों ने बदल दिया। पोल खुलने का ही परिणाम रहा कि सपा नेता अरसद जमाल समेत देश के कई अन्य नेतायों ने एस प्रकार के मामलों की विभिन्न फोरमों पर शिकायत की। ये आवाज अज भले मामूली दिखाई दे रही हो लेकिन इसके परिणाम बाद में क्रन्तिकारी दिखाई देंगे। वो क्रांति देश को बौधिक गुंडों से मुक्त कराएगी।किसी लोकत्रांत्रिक देश में मीडिया के माध्यम से खेला जा रहा यह खेल सबसे जघन्य है। ऐसे कृत्य के लिए स्पेसल कोर्ट में सुनवाई की व्ययवस्था के साथ फांसी की सजा का प्रावधान करना चाहिए तभी लोकतंत्र बच पायेगा।
[…] के मुखपृष्ट पर मुख्य सम्पादक के स्पष्टीकरण की छवि प्रस्तुत की गई थी । पता चला है कि […]
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