अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर समाजवादी जनपरिषद ने लंका , वाराणसी में आफ़्स्पा (Armed Forces Special Power Act, AFSPA,1958 ) के खिलाफ़ धरना एवं सभा का आयोजन किया ।
धरना कवियित्री एवं जुझारू कार्यकर्ता ईरोम शर्मिला चानू के साहसिक संघर्ष के दसवें साल में प्रवेश के मौके पर उनके समर्थन में रखा गया था । सभा में केन्द्र सरकार से मांग की गयी कि आम नागरिकों के मानवाधिकारों का हनन करने वाले और सैन्य बलों को अगाध छूट देने वाले आफ़्स्पा कानून को तत्काल रद्द किया जाए । इस कानून की आड़ में पिछले 50 सालों से पूर्वोत्तर राज्यों में सेना ने अपना बर्बर राज चला रखा है । लूट , बलात्कार , मार-पीट , हत्या आदि का इस्तेमाल आम जनता के खिलाफ़ तथाकथित रूप से उग्रवाद को दबाने के लिए किया जाता है परन्तु सच तो यह है कि इन 50 सालों इस इलाके में राज्य के दमन और मुख्यधारा से काटे रखने की राजनीति के फलस्वरूप उग्रवाद बढ़ा ही है । इस कानून का असर सबसे ज्यादा महिलाओं को ही झेलना पड़ता है । सभा में उन सभी जुझारू महिलाओं को नमन किया गया जिनके संघर्ष फलस्वरूप इस कानून की नारकीय सच्चाई शेष भारत और विश्व के सामने आई ।
’आफ़्स्पा’ जम्मू और काश्मीर में भी लगाया गया है और वहां भी पिछले 25 सालों में सेना के अत्याचार तथा केन्द्र सरकार द्वारा लोकतंत्र की प्रक्रियाओं से खिलवाड़ के फलस्वरूप उग्रवाद और आतंकवाद बढ़ा है । शोपियान काण्ड में भी राज्य सरकार ने आरोपियों को बचाने का काम ही किया है ।
सभा में जमीन के हक और शराब माफ़िया , खनन एवं महाजनों की लॉबी के खिलाफ़ लड़ रहे आदिवासियों पर नारायणपटना में हुए गोली-काण्ड का विरोध किया गया । गोली काण्ड की जांच करने जा रही महिला कार्यकर्ताओं की टीम पर कम्पनियों के गुण्डों तथा सादी वर्दी में पुलिस द्वारा हमले की तीव्र आलोचना की गई ।
सभा में यह बात उभर कर आइ जब जनता जल , जंगल , जमीन और जीने के अपने अधिकारों के लिये लड़ती है तो उसे दबाने के लिए राजनैतिक सत्ता पुलिस , सेना एवं कानून का सहारा लेती है । इसलिए देश की जनता को लूट कर निजी कम्पनियों के हाथों में प्राकृतिक संसाधन सौंपने की नीतियों का विरोध करना ही होगा ।
सभा में मांग रखी गयी कि आफ़्स्पा को तकाल रद्द किया जाये , इरोम शर्मिला को रिहा किया जाये एवं जनान्दोलनों पर दमन रोका जाए ।
क्रान्तिकारी कवि गोरख पाण्डे के प्रसिद्ध गीत ’ गुलमिया अब हम नाहि बजईबो , अजदिया हमरा के भावेले ’ के गायन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।
– रपटकर्ता : प्योली स्वातिजा