आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक प्रोफेसर बनवारीलाल शर्मा का आज सुबह चंडीगढ़ में देहान्त हो गया । वैश्वीकरण की गुलाम बनाने वाली नीतियों के विरुद्ध जन आन्दोलनों के वे प्रमुख नेता थे। विनोबा भावे से प्रेरित अध्यापकों के आन्दोलन ‘आचार्यकुल’ के वे प्रमुख स्तम्भ थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय अध्यापक संघ के वे तीन बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने गये थे। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मकड़जाल से देश को सावधान करने के लिए आपने ‘साथियों के नाम’ बुलेटिन,नई आजादी का उद्घोष नामक पत्रिका शुरु की,सतत चलाते रहे तथा कई पुस्तकें लिखीं और अनुवाद भी किया। गणित का विद्यार्थी होने के कारण आपने फ्रेंच भाषा पर भी अधिकार कायम किया था। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उनकी निष्ठा,तड़प और सक्रियता कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगी।

प्रो. बनवारीलाल शर्मा , संस्थापक ‘आजादी बचाओ आन्दोलन’