साधारणतया मौन अच्छा है,
किन्तु मनन के लिए,
जब शोर हो चारों ओर सत्य के हनन के लिए,
तब तुम्हे अपनी बात ज्वलंत शब्दों में कहनी चाहिए ।
सिर कटाना पड़े या न पड़े,
तैयारी तो उसकी रहनी चाहिए।
भवानी प्रसाद मिश्र
इस कविता से 12 वर्ष पूर्व ब्लॉगिंग शुरू की थी। फेबु पर भक्तों के सफल हमले का प्रतिकार इस जगह से करूंगा।