[जुलाई-अगस्त 1996 की ‘सामयिक वार्ता’ में साथी स्वाति की यह टिप्पणी छपी थी।वार्ता बनारस से छपती थी।]
मेरे सामाजिक-राजनैतिक जीवन के शैशव काल में ‘लोकायन-लोकनिधि’ संस्था की ओर से आदरणीय श्री पंकज जी ने मुझे ‘भारतीय समाज में स्त्री की स्थिति’ पर पर्चा पढ़ने के लिए आमंत्रित किया था।यह मेरा इस विषय पर पहला पर्चा था जो हमारे समाज में श्रम विभाजन,जाति प्रथा व परिवार तथा समाज में स्त्री की प्रतिष्ठा पर केंद्रित था।इसके बाद उस गोष्ठी मुझसे कई प्रश्न पूछे गए अधिकांश ऊलजलूल।कंझावला (दिल्ली से सटा हरियाणा का एक गांव) से दो किसान भाई भी थे। उनमें से एक ने अपने वक्तव्य में में कहा था कि अगर औरतें घर से बाहर निकलेंगी तो उन्हें बसों में,सार्वजनिक जगहों में धक्का-मुक्की तथा शरीर को स्पर्श करती हुई मर्दों की अश्लील हरकतों को सहना ही होगा।तब डी.टी.सी. बसों में औरतों के लिए आरक्षित सीटें नहीं हुआ करती थीं। अगस्त 1988 में ज्ब श्रीमती रूपन देवल बजाज,जो कि पंजाब कैडर की आई.ए.एस. अधिकारी हैं,ने पंजाब के तत्कालीन सर्वशक्तिमान, ख्यातनामा पुलिस महानिरीक्षक कंवरपाल सिंह गिल पर आरोप लगाया कि उन्होंने अफसरों की एक पार्टी में उनके नितंब थपथपाने की अश्लील हरकत की तो ज्यादातर अखबारों ने कहा कि यह सब तो होता ही रहता है व श्रीमती बजाज को ऐसे मामलों को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। विशेषतः (1) जब किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा हरकत हुई हो (2) जब, वह शराब के नशे में हो।श्री कपूर (पंजाब के वित्त सचिव जिनके यहां पार्टी थी) व राज्यपाल श्री सिद्धार्थशंकर राय दोनों ने हीं श्री गिल से माफी मांग कर मामले को रफा-दफा करने की सलाह दी।मगर श्रीमती रूपन देवल बजाज व उनके पति ने न्यायालय में आई.पी.सी. धारा 354 एवं 509 के तहत मुकदमा दायर किया।इनमें से धारा 354 औरत के साथ अभद्र व्यवहार करने की है। आठ साल बाद चण्डीगढ़ की एक अदालत के मुख्य न्यायाधीश श्री दर्शन सिंह ने श्री गिल को तीन महीना सश्रम कारावास व 700 रु जुर्माना की सजा दी है। उन्हें तीन दिन की मोहलत ऊपरी अदालत में अपील के लिए दी है।कुछ लोगों को शंका है कि अब ऐसे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी,कुछ को लगता है कि श्रीमती बजाज ने व्यक्तिगत खुन्नस के कारण अदालत के दरवाजे खतखटाए परंतु मुझे तो लगता है कि सामाजिक कुंठाओं और वर्जनाओं के कारण जो पुरुष की आखेटक प्रवृत्ति बरकरार है समाज में उस पर रोक लगेगी । अश्लील हरकत करने से पुरुष डरेंगे तथा महिलाओं व लड़कियों के समाज में स्वच्छंद घूमने में सुविधा होगी।
इस मामले में श्रीमती रूपन देवल बजाज को गलत ठहराने में दो प्रमुख स्तंभकार महिलाएं थीँ –तवलीन सिंह व नीलम महाजन सिंह।उनकी चर्चा का स्तर यह था कि जिस समाज में पार्टियों एक दूसरे के गले लोग पड़ते हैं उसमें जो गिल ने किया वह सामान्य था। श्रीमती बजाज तिल का ताड़ बना रही हैं।
संसद के इसी सत्र में कांग्रेस की सुश्री सरोज खापर्डे ने राज्यसभा में एक विधेयक रखा है जिसमें हर गृहणी को एक साप्ताहिक अवकाश देना जरूरी हो ऐसी मांग की गई है। प्रसिद्ध वकील रानी जेठमलानी ने कहा है कि यह विधेयक अधूरा है,विवाह के समय पति की संपत्ति का आधा हिस्सा पत्नी को मिलना चाहिए। कम्युनिटी ऑफ प्रॉपर्टी (संपत्ति का आधा हिस्सा) नाम से यह फ्रांस,इंग्लैण्ड आदि कई देशों में दिया जाता है ताकि पत्नी के परिवार चलाने के योगदान की प्रतिष्ठा हो।
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