अक्टूबर , २००८ में हमारे साथी ने गोपनीय स्विस बैंकों के खातों में भारतीयों के धन के बारे में आँकड़ों सहित एक लेख लिखा था । मैथिलीजी जैसे जागरूक पाठकों ने इन गोपनीय खातों को सार्वजनिक करने के लिए अभियान चलाने पर उसमें सहयोग देने की प्रतिबद्धता प्रकट की थी ।
स्विट्ज़रलैण्ड के वित्त मन्त्री ने अन्य देशों की जाँच एजेन्सियों द्वारा इन गोपनीय खातों के बारे में जानकारी माँगे जाने पर उसका ऐलान करने का निर्णय लिया है । यह निर्णय अन्तर्राष्ट्रीय मन्दी से जूझने के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत सरकार की अधिकृत प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है । लोक सभा निर्वाचन में मुख्यधारा के मोर्चे इसे मुद्दा नहीं बनायेंगे। गत दिनों मेरे एक मित्र जो सरकारी अफसर हैं ने मुझसे कहा कि स्विस बैंकों में राजनेताओं से कहीं ज्यादा काला धन भारत के भ्रष्ट नौकरशाहों का होगा।
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गोपनीय स्विस बैंक खातों की जानकारी संभव ?
Posted in swiss banks, tagged काला धन, गोपनीय खाते, स्विस बैंक, black money, swiss bank on मार्च 14, 2009| 10 Comments »
आज़ाद भारत के भारतीय लुटेरों का कर-स्वर्ग : ले. सुनील
Posted in swiss banks, tagged black money, indian black money, indian deposits, swiss banks on अक्टूबर 21, 2008| 8 Comments »
गतांक से आगे :
स्विस बैंकों जैसे दुनिया में ७७ ‘कर-स्वर्ग’ हैं , जहाँ दुनिया के अमीर अपना काला धन जमा करके ऐश कर सकते हैं । वहाँ का भी हिसाब मिलाएं , तो भारतीय अमीरों द्वारा भारत की लूट का यह मीजान और ज्यादा विकराल हो जाएगा । हाल ही में , जर्मनी की सरकार के हाथ में ऐसे ही एक कर-स्वर्ग लीचेन्स्टाईन के दो नंबरी खातों की जानकारी आई थी , जो उसने सम्बन्धित देशों की सरकारों को देने का प्रस्ताव किया था । कई सरकारों ने इसका उपयोग किया और काले धन वालों के विरुद्ध कार्यवाही भी शुरु की . लेकिन भारत सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । आखिर कैसे करती , क्योंकि यह जानकारी उजागर होने पर शायद बड़ी – बड़ी जगहों पर बैठे लोग बेनकाब हो जाते , तूफान आ जाता । वर्ष १९९१ में हवाला काण्ड में भी तो सत्तादल से लेकर तमाम विपक्षी नेताओं के नाम थे । बोफोर्स , जर्मन पनडुब्बी जैसे तमाम सौदों में दलाली व कमीशन की राशि भी ऐसे ही बैंकों में जमा होती है ।
स्विस बैंकों और अन्य कर-स्वर्गों जमा यह विशाल संपदा वह लूट है , जो १९४७ से इस देश में चल रही है । मानवता के इतिहास की सबसे बड़ी लूटों में यह एक है । हम तैमूर लंग , नादिरशाह , मुहम्मद गोरी जैसे विदेशी लुटेरों की बात करते हैं । अंग्रेजी राज में कैसे भारत की धन – संपदा का प्रवाह बाहर की ओर हो रहा है , यह दादाभाई नौरोजी ने ‘ड्रेन थ्योरी’ के साथ बताया था । लेकिन इन सबको पीछे छोड़ते हुए खुद आजाद भारत के भारतीय लुटेरों ने लूट के नए कीर्तिमान कायम किए हैं । भारत में काले धन की विशाल समानांतर अर्थव्यवस्था की आखिरी मंजिल स्विस बैंक जैसे कर-स्वर्ग ही होते हैं , जहाँ के बारे में हमें पता पता भी नहीं चलता है । देश के मेहनतकश स्त्री – पुरुष खून – पसीना एक करके जो पैदा करते हैं , उसे अलग – अलग तरीकों से पूँजीपति-उद्योगपति , ठेकेदार , दलाल , मंत्री , नेता , आई ए एस – आई पी एस अफ़सर हथियाते हैं और लोगों की नजरों से बचाने के लिए इन बैंकों में करते जाते हैं । इसका मतलब यह भी है कि भारत गरीब नहीं है । इस लूट ने उसे गरीब बना कर रखा है । देश का खजाना तो स्विट्जरलैण्ड में छुपा है ।
लूट की इस सम्पदा पर भारत के आम आदमी का हक है । सूचना के अधिकार के इस जमाने में सबसे पहले इसे नामों सहित सार्वजनिक किया जाए । फिर इसे वापस लाने की कार्यवाही की जाए , दोषियों पर सार्वजनिक मुकदमा चलाया जाए , तथा इससे जुड़ी देश के अंदर की काले धन की अर्थव्यवस्था को भी ध्वस्त किया जाए । इस विशाल रकम को देश के विकास में लगाया जाए और आम आदमी के हित में इस्तेमाल किया जाए , तो भारत की गरीबी , बेरोजगारी , भूख , बीमारी , कुपोषण , अशिक्षा आदि दूर हो सकती है । तब हमें विदेशों से कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी , विदेशी पूंजी मंगवाने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आमंत्रित करने की भी जरूरत नहीं होगी ।
लेकिन यह कैसे होगा ? भारत की मौजूदा सरकारें तो यह कभी नहीं करने वाली हैं , क्योंकि उनमें बैठे लोग भी इस लूट में शामिल होंगे । एक नई क्रांतिकारी सरकर ही , जनमत के दबाव के साथ , यह कर सकती है । तब भारत एक बार फिर सोने की चिड़िया बन जाएगा ।
( लेखक समाजवादी जनपरिषद का राष्ट्रीय अध्यक्ष है । पता : समाजवादी जन परिषद , ग्राम/पोस्ट – केसला , वाया इटारसी , जिला- होशंगाबाद ( म. प्र. )- ४६११११ , ई-पता sjpsunil@gmail.com )
कौन कहता है भारत गरीब है ?- ले. सुनील
Posted in capitalism, swiss banks, tagged black money, black money account, indian black money, indian deposits, swiss banks on अक्टूबर 20, 2008| 15 Comments »
स्विस बैंकों में कैद सोने की चिड़िया
भारत एक गरीब देश है । अपनी गरीबी का रोना अक्सर हम रोते हैं । गरीबी पर सेमिनार करते हैं , गरीबी दूर करने की योजनाएं बनाते हैं और विदेशी दान मांगते हैं। पुराने जमाने को याद करते हुए नि:श्वास छोड़ते हैं और कहते हैं कि कभी भारत सोनी की चिड़िया हुआ करता था ।
लेकिन सच यह है कि यह सोने की चिड़िया अभी भी मौजूद है । फर्क इतना ही है कि हमारे हुक्मरानों की मिलीभगत से इसे भारत भूमि से बहुत दूर , सात समंदर पार , स्विट्जरलैण्ड के बैंकों की तिजोरियों में कैद रखा गया है । स्विस बैंकों के संगठन ने
अपनी २००६ की रपट में वहाँ पर जमा भारतीयों की संपत्ति के जो आंकड़े जारी किए हैं , वे हैरतअंगेज़ हैं । इन आंकड़ों के मुताबिक वहां के बैंकों में भारतीयों के १४५६ अरब डॉलर जमा हैं । यह बहुत बड़ी राशि है । इसकी विशालता का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि यह पूरे भारत की कुल राष्ट्रीय आय से डेढ़ गुना है । भारत के कुल विदेशी ऋण का यह १३ गुना है । इस राशि का सालाना ब्याज ही केन्द्र सरकार के बजट से ज्यादा होगा । यदि इस राशि को वापस लाकर देश के ४५ करोड़ गरीबों में बांट दिया जाए , तो हर गरीब आदमी को एक लाख रुपया मिल सकता है।
यह स्पष्ट है कि यह काला धन है जो इस देश को लूटकर बेईमान उद्योगपतियों , दलालों , भ्रष्ट नेताओं , भ्रष्ट अफ़सरों , फिल्मी सितारों , क्रिकेट खिलाड़ियों आदि ने स्विस बैंकों में जमा किया है । इन बदनाम बैंकों में पूरी दुनिया का दो नम्बर का पैसा जमा होता है , क्योंकि यहाँ टैक्स नहीं लगता है और जमाकर्ताओं के नाम व खातों की जानकारी गोपनीय रखी जाती है । हैरानी की बात यह भी है कि स्विस बैंकों की जो मोटी जानकारी बाहर आई है , उसके मुताबिक वहाँ जमा रकम में पहले नंबर पर भारतीय हैं ।
भारतीयों के १४५६ अरब डॉलर के बाद काफ़ी पीछे , दूसरे नंबर पर ४७० अरब डॉलर के साथ रूसी हैं । उसके बाद अंग्रेजों के ३९० अरब डॉलर हैं , उक्रेनियनों के १०० अरब डॉलर तथा चीनियों के ९६ अरब डॉलर जमा हैं । भारत के अलावा बाकी दुनिया के अमीरों का जितना धन वहाँ जमा है , सबको जोड़ भी लें, तो उससे भी ज्यादा धन भारतीयों का स्विस बैंकों में है । क्या इसे भी भारत की एक और गर्व करने लायक उपलब्धि माना जाए ? कौन कहता है कि भारत गरीब है ?
[ जारी , अगली किश्त में समाप्य ]