लोक सभा और विधान सभा में औरतों के लिए ३३ फीसदी सीटें आरक्षित किए जाने का कानून बनाने का विरोध सामाजिक न्याय के तथाकथित पुरोधा मुलायम सिंह , मायावती , शरद यादव करते आये हैं । वे आरक्षण में आरक्षण की माँग कर रहे हैं । यानी इन आरक्षित सीटों में पिछड़ी जाति की औरतों के लिए आरक्षण । शरद यादव काफ़ी पहले इस बाबत अपनी विकृत सोच प्रकट कर चुके हैं – ’आरक्षण में आरक्षण न दिया जाना परकटी औरतों के हक में होगा’!
पिछड़े तबकों में आई जागृति के कारण विधायिकाओं में पिछड़े वर्गों के सांसद -विधायक जनता द्वारा बिना आरक्षण चुन कर आने लगे हैं । आबादी की जातिगत बनावट के कारण यह सहज है। शुरुआती चुनावों में ऐसा नहीं होता था । औरतों के लिए सीटें आरक्षित हो जाने के बाद पिछड़ी औरतों के सफल होने की कल्पना ये पिछड़े नेता नहीं कर पा रहे हैं ,यह अचरज की बात है अथवा स्त्री-विरोधी? आरक्षित सीटों में स्वाभाविक परिणाम पिछड़ी जाति की औरतों के पक्ष में होंगे।
डॉ. लोहिया स्त्री-पुरुष गैर-बराबरी को आदि- विषमता का दरजा देते थे । वे ’पिछड़ों’ में सभी जाति की औरतों को जोड़ते थे । दल में शूद्र , अछूत और स्त्रियों का नेतृत्व कैसे उभरे इसकी चिन्ता वे बिना लाग-लपेट के व्यक्त करते थे । वे कहते थे ,’ जाति और योनि के ये दो कटघरे परस्पर सम्बन्धित हैं और एक दूसरे को पालते पोसते हैं ”। उनके द्वारा दिया गया यह उदाहरण सोशलिस्ट पार्टी में ओहदों और कमीटियों में महिला नेतृत्व पैदा करने के प्रति उनकी चिन्ता को दरसाता है :
” एक बार ग़ाजीपुर जिले के एक गाँव में सुखदेव चमार की पत्नी सभा में कुछ देर से आयीं , लेकिन सजधज कर और गाँव के द्विजों की गरदनें उस ओर कुछ मुसकुराहट के साथ मुड़ीं । सुखदेव गाँव के खाते पीते किसान हैं , लेकिन आख़िर चमार , इसलिए उन पर और उनके सम्बन्धियों पर तरह तरह के छोटे छोटे जुल्म हुआ ही करते हैं । बाद में मुझे मालूम हुआ कि उकता कर और कांग्रेस वालों की लालच में आ कर सुखदेव जी का दिमाग पार्टी बदलने के लिए थोड़ा बहुत डाँवाडोल हो रहा था । लेकिन उनकी पत्नी ने कहा कि जिस पार्टी का हाथ एक बार पकड़ चुके हो ,उसे कभी मत छोड़ना जब तक वह तुमसे साफ़ धोखा न करे । इस घटना को हुए २ – ३ वर्ष तो हो ही गये हैं , लेकिन आज तक मैंने यह नहीं सुना कि सुखदेव जी की पत्नी को गाजीपुर की महिला पंचायत या किसान पंचायत या प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में कोई कार्यकारिणी की जगह मिली है , और उससे भी ज्यादा कि धीरज के साथ उनको नेतृत्व के लायक बनाने की कोई कोशिश की गयी है । …. जब तक शूद्रों , हरिजनों और औरतों की सोयी हुई आत्मा का जगना देख कर उसी तरह खुशी न होगी जिस तरह किसान को बीज का अंकुर फूटते देख कर होती है , और उसी तरह जतन तथा मेहनत से उसे फूलने फलने और बढ़ाने की कोशिश न होगी तब तक हिन्दुस्तान में कोई भी वाद , किसी भी तरह की नई जान , लायी न जा सकेगी । द्विज अपने संस्कार में मुर्दा रहेगा , क्योंकि शूद्र की जान पशु बना दी गई है। द्विज के संस्कार और शूद्रों की जान का मिश्रण तो करना ही होगा । इसमें ख़तरे भी बहुत हैं और असाधारण मेहनत करनी पड़ेगी । लेकिन इसके सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं । “
बम्बई के एक साथी नन्दकिशोर द्वारा लिखे एक पत्र के जवाब में डॉ. लोहिया उन्हें लिखते हैं :
डॉ. लोहिया
” शूद्र और अछूत जब कुछ तरक्की करते हैं तो द्विजों की खराब बातों की नक़ल करने लगते हैं । जहाँ कहीं कोई अहीर अमीर हो जाता है , अपनी अहीरिन को घर के अन्दर बन्द करना शुरु करता है । मैंने हजार बार कहा है कि वे चमारिनें और धोबिनें कहीं अच्छी हैं जो खुले मुँह काम करती हैं , न कि बनियाइनें और ठकुराइनें जो कि घर के अन्दर बन्द रहती हैं । शूद्रों को इस ओर विशेष ध्यान देना होगा । “
चाहे वे अलग – अलग पार्टियों में बंटे हों , और आपसी संघर्ष काफ़ी बड़ा हो , इनका एक तरह का अचेतन संयुक्त मोर्चा चलता रहता है । इस अचेतन संयुक्त मोर्चे से अलग नीतीश कुमार ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन कर साहस और सूझबूझ का परिचय दिया है ।
हम जिस समाज का सपना देखते हैं और उसे हासिल करने के लिए जिस औजार (दल) को गढ़ते हैं उसमें उस समाज का अक्स दीखना चाहिए । सोशलिस्ट पार्टी द्वारा बुनियादी इकाई से ऊपर की समितियों में तथा टिकट के बँटवारे में इन मूल्यों का ख्याल रखा जाता था जिसके फलस्वरूप कर्पूरी , पासवान , लालू , नीतीश , मुलायम,बेनी प्रसाद नेता बन सके । हमारे दल समाजवादी जनपरिषद की हर स्तर की कमीटियों में दस फीसदी महिलाएं यदि चुन कर नहीं आती तब उस संख्या को हासिल करने के लिए अनुमेलन किया जाता है। हमें इस बात का फक्र है कि दल में वैधानिक तौर पर यह प्रावधान किया गया है । इस प्रावधान को हासिल करने में हुई जद्दोजहद भी गौरतलब थी । भाजपा से भाकपा (माले) तक किसी भी दल में वैधानिक तौर पर महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित नहीं है एवं टिकट के बँटवारे में भी महिलाओं के लिए स्थान निर्धारित नहीं हैं ।