मित्र अनूप शुक्ला ने एक टिप्पणी में एक गलत सूचना दी थी कि गांधी जी को गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने सर्वप्रथम ‘राष्ट्रपिता’ कहा था.इस बाबत नीचे लिखे तथ्य गौरतलब हैं :
६ जुलाई ,१९४४ को राष्ट्र के नाम प्रसारित अपने रेडियो सन्देश में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने सर्वप्रथम गांधीजी के लिए ‘राष्ट्रपिता’ सम्बोधन किया था.भाषण के सन्दर्भित अंश :
“भारतवर्ष के जनगण के अभ्युत्थानकर्ता गांधीजी थे.ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ़ प्रथम सत्याग्रह करने वाले वे ही थे.टुकदे टुकडे में बंटे भारतवासियों को एक प्राण की एकता के सूत्र बांधने वाले वे ही थे.जनता के मन में आज़ादी की अलख उन्होंने ही जलाई.नि:शस्त्र भारतवासियों के मन में शूरता और कष्ट सहने की हिम्मत उन्होंने ही पैदा की.राष्ट्र को गांधीजी ने नया जीवन दिया है.वे राष्ट्रपिता हैं.”
१९१५ में दक्षिण अफ़्रीका से लौटने पर राजकोट के निकट गोंडल राज्य के राजा ने उन्हें जो मानपत्र दिया था उसमें सर्वप्रथम उन्हें महात्मा कहा गया था.गोंडल के राजा गुजराती में ग्यानकोष प्रकाशित करने के लिए याद किए जाते हैं.लेकिन ‘महात्मा’ क सम्बोधन लोकप्रिय तब हुआ जब उसी वर्ष शान्तिनिकेतन में गांधीजी ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर को ‘गुरुदेव’ और कविवर ने गांधीजी को महात्मा कहा.