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Posts Tagged ‘दमनचक्र’

आज धर्म पूछोगे, कल जात पूछोगे
कितने तरीक़ों से मेरी औक़ात पूछोगे

मैं हर बार कह दूँगा, यही वतन तो मेरा है
घुमा फिरा के तुम भी तो वही बात पूछोगे

सच थोड़े ही बदलेगा पूछने के सलीकों से
थमा के क़ुरान या फिर जमा के लात पूछोगे

मेरी नीयत को तो तुम कपड़ों से समझते हो
लहू का रंग भी क्या अब मेरे हज़रात पूछोगे

मैं यहीं था 84 में, 93 में, 02 में, 13 में
किस किस ने बचाया मुझे उस रात पूछोगे

तुम्हीं थे वो भीड़ जिसने घर मेरा जलाया था
अब तुम्हीं मुझसे क़िस्सा-ए-वारदात पूछोगे

ज़बान जब भी खुलती है ज़हर ही उगलती है
और बिगड़ जाएँगे ग़र तुम मेरे हालात पूछोगे

पुरखों की क़ब्रें, स्कूल की यादें, इश्क़ के वादे
कुछ देखोगे सुनोगे या सिर्फ़ काग़ज़ात पूछोगे

~ सुमित सप्रा

प्रेम से साझा कीजिए
बजरिए शाहिद अख़्तर
Shahid Akhtar

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पिछले साल नौ सितम्बर को ’ब्लैक रोज़’ नामक मंगोलियाई पानी का एक बड़ा जहाज ओड़िशा के पारादीप बन्दरगाह के निकट डूब गया । जहाज में हजार २३८४७ टन लौह अयस्क लदा था । जिनका माल लदा था उन्होंने यह कबूल कर लिया कि एक अन्य जहाज ’टोरोस पर्ल’ के दस्तावेजों को जमाकर उन्होंने पारादीप बन्दरगाह में शरण पाई थी । जहाज का मालिक ब्लैक रोज़ नाम से दो जहाज चलाता था । बन्दरगाह से अन्य जहाज बाहर निकल सकें इसके लिए डूबे जहाज को हटाना जरूरी था । यह काम मजबूरन बन्दरगाह प्रशासन करवाना पपड़ रहा है । देश की अमूल्य खनिज सम्पदा की लूट की अवैध कारगुजारी का एक नमूना इस घटना से प्रकट हुआ । आदिवासी , दलित और पिछड़े गरीब किसानों का यह प्रान्त खनिज सम्पदा से समृद्ध है और उदारीकरण के दौर में देशी-विदेशी कम्पनियों में इसे लूटने की होड़ मची है । अनिल अग्रवाल ,मित्तल और टाटा सरीखों द्वारा लूट-खसोट में राज्य की पुलिस और कम्पनियों की ’निजी वाहिनी’ (भाड़े के गुण्डे) ग्रामीणों पर दमन का दौर चला रहे हैं ।

पारादीप बन्दरगाह के निर्माण के दौरान ट्रकों से कुचल कर २५० बच्चे मारे गये थे तब बीजू पटनायक ने कहा था ,’इन बच्चों की मौत विकास के लिए हुई शहादत है ” । ओडिशा मैंगनीज़ , लौह अयस्क तथा बॉक्साईट से समृद्ध है । ओडिशा के तट पर १२ नये बन्दरगाहों के निर्माण की योजना है । इनके द्वारा खनिज अयस्क तथा कोयले का निर्यात होगा । उदारीकरण के दौर में खनिज तथा वन कानूनों को ठेंगा दिखा कर दो सौ से दो सौ चालीस रुपये प्रति टन की लागत से प्राप्त लौह अयस्क चीन जैसे देशों को वैध/अवैध तरीकों से तीन हजार रुपये प्रति टन बेचा जा रहा है ।

रवि दास (खड़े) और पूर्व सांसद बालगोपाल मिश्र

इन तथ्यों के आधार पर ओडिशा के वरिष्ट पत्रकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता रवि दास ने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है । ओडिशा-दिवस (पहली अप्रैल) पर वाराणसेय उत्कल समाज के आयोजन में वे बतौर मुख्य अतिथि बनारस आये हुए थे । ओड़िया के प्रसिद्ध अखबार ’प्रगतिवादी’ से बरसों से जुड़े रहने के बाद अब वे ’ आमो राजधानी’ नामक एक मध्याह्न दैनिक निकाल रहे हैं तथा वकीलों,पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों और पत्रकारों द्वारा बनाये गये ’ओडिशा जन सम्मेलनी’ नामक संगठन के अध्यक्ष हैं । रवि दास ३० मार्च को जाजपुर जिले के कलिंगनगर इलाके में हुए बर्बर दमन की तफ़तीश करने गई टीम में शामिल थे । टीम का नेतृत्व उच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त जज चौधरी प्रताप मिश्र ने किया । टीम में एक चिकित्सक तथा चित्त महान्ती (लेखक तथा राजनैतिक कार्यकर्ता),सुधीर पटनायक (पत्रकार) तथा महेन्द्र परीडा (ट्रेड यूनियन कर्मी) शामिल थे ।  मुख्यधारा की मीडिया द्वारा पुलिस दमन की घटना की खबर गायब किए जाने के कारण इस समिति की रपट के मुख्य अंश यहां दिए जा रहे हैं :

जाँच दल ने गोली चालन के शिकार ग्रामीणों से बालिगूथा ,चाँदिया तथा बरगड़िया में मुलाकात की तथा उनकी झोपड़ियों , पशु धन , खाद्यान्न ,साइकिल आदि के नुकसान का जायजा लिया।
बालिगूथा के सरपंच ने टीम को बताया कि उसके घर से नगद तथा आभूषण भी लिए गये हैं। आन्दोलनकारी आदिवासियों के नेता रवि जरिका पुलिस की गोली से घायल हुए हैं । उन्होंने घटना का पूरा ब्यौरा दिया। समिति गोली से घायल पचीस लोगों से मिली जिनमें नौ महिलाएं थी । जाँच दल के साथ गये चिकित्सक ने घायलों का उपचार किया ।

मुख्य तथ्य :

  1. करीब ३० से ४० आदिवासी गोली से घायल हैं । गंभीर रूप से घायल ४ लोग अस्पताल में भर्ती किए गये हैं । घायलों के जख़्म देख कर लगता है कि यह रबर की गोलियों के अलावा भी चलाई गई गोलियों से हुए हैं ।
  2. प्रशासन द्वारा घायलों के उपचार के लिए कुछ भी नहीं किया गया हैं । उत्पीड़न और गिरफ़्तारी के भय से घायल ग्रामीण बाहर नहीं निकलना चाहते ।
  3. बालिगूथा के करीब स्थित विवादास्पद ’कॉमन गलियारा’ के निर्माण स्थल पर किया पुलिस का गोली चालन बेजा था , किसी भड़कावे के बिना था तथा इसलिए पूर्वनियोजित था ।
  4. हथिया्रबन्द पुलिस की २९ प्लाटून , एन एस जी के दो प्लाटून , ७० पुलिस अधिकारी तथा ७ मजिस्ट्रेटों की मौजूदगी इलाके में व्याप्त आतंक के माहौल का अन्दाज देने के लिए काफ़ी हैं।
  5. सत्ताधारी दल से जुड़े जाने-पहचाने चेहरे पुलिस की वर्दी में बालीगूथा में घरों पर हमला करने वालों में थे । उनके पास बन्दूकें नहीं थी लेकिन वे तलवारों तथा वैसे ही घातक शस्त्रों से लैस थे।
  6. धारा १४४ लागू होने के बावजूद कम्पनी के गुण्डे भारी तादाद में छुट्टा घूम रहे थे ।
  7. विस्थापन विरोधी मंच के नेताओं के घरों को पहचान कर नुकसान पहुंचाया गया है तथा उन घरों के मूल्यवान सामान और खाद्यान्न नष्ट किए गए।
  8. आंदोलनकार पीडित आदिवासी बिना सोए रात गुजार रहे हैं क्योंकि उन्हें भय है कि स्थानीय प्रशासन के सहयोग से पुलिस , कम्पनी के गुण्डे,तथा सत्ताधारी दल से जुड़े अपराधी फिर से हमला कर सकते हैं ।
  9. इतनी भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती अपने आप में इलाके की शान्ति के लिए खतरा है।
  10. ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन आन्दोलनकारी आदिवासियों की समस्या के प्रति असंवेदनशील है तथा उसे सिर्फ़ कलिंगनगर स्थित कम्पनियों की परवाह है ।

संस्तुतियाँ :

  1. मुख्य मन्त्री तत्काल हस्तक्षेप कर विवादित गलियारा प्रोजेक्ट के काम को रोकें ।
  2. प्रशासन ने कलिंगनगर में पहले हुए गोली कांड के बाद लोगों से जो वाएदे किए थे उनके प्रति धोखा किया है इसलिए आदिवासियों की माँगों की बाबत सर्वोच्च स्तर पर वार्ता होनी चाहिए। जमीन के बद्ले जमीन देने की बात को नजरअंदाज किया गया है तथा गलियारे की भूमि के मलिकों से भी राय नहीं ली गई है ।
  3. कम्पनियों के खर्च पर छोटे से इलाके में एक बाद एक थाने खोलते जाने के बजाय मुख्यमन्त्री को सुनिश्चित करना चाहिए कि हर गाँव को शिक्षा ,स्वास्थ्य,पानी,सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिले। विधवा पेंशन जैसी योजनाओं को बेतुके रूप से इलाके में स्थगित कर दिया गया है ।
  4. पुलिस या नागरिक कानून को अपने हाथों में न ले । ३० मार्च को हुए गोली चालन तथा उसके पहले आदिवासियों में भय फैलाने वाली  अपराधिक कारगुजारियों में लिप्त समस्त अधिकारियों को तत्काल निलम्बित किया जाए तथा उन पर मुकदमे चलाये जाँए ।
  5. गोली चालन से घायल पीडित हर व्यक्ति को एक लाख रुपये का जुर्माना दिया जाए ।

ओडिशा में नागरिक अधिकार आन्दोलन तथा किसान आन्दोलन पर रवि दास तथा किसान नेता बालगोपाल मिश्र से बातचीत आगे दी जाएगी ।

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नर्मदा बचाओ आन्दोलन का २८ अक्टूबर का ज्ञापन

प्रति,
श्री शिवराजसिंह चौहान,
मुख्यमंत्री,
मध्य प्रदेश शासन,
भोपाल म.प्र.
विषय : इंदिरा सागर परियोजना व औंकारेश्वर बाँध प्रभावितों के पुनर्वास बाबत्
द्वारा : जिला कलेक्टर, खण्डवा, म.प्र.
माननीय,
नर्मदा घाटी में बन रहे इंदिरा सागर और औंकारेश्वर बाँध के हजारों प्रभावित आज
खण्डवा जिला मुख्यालय पर एकत्र होकर नर्मदा घाटी में लाखों प्रभावितों की दुर्दशा की ओर
आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते है। नर्मदा घाटी के विस्थापितों के लिये बनी पुनर्वास
नीति के अनुसार विस्थापितों का जमीन के बदले जमीन, वयस्क पुत्रों को जमीन एवं सभी को
पुनर्वास की अन्य सुविधाऐं देकर बसाना था। परंतु इस नीति का खुला उल्लंघन करते हुए,
विस्थापितों को धोखे एवं दमन के आधार पर ही उजाडा गया है।
इतना ही नहीं विस्थापितों के हक में दिये गये सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय
के फैसलों पर भी अमल नही किया जा रहा है। प्रदेश व देश के विकास के नाम पर त्याग
करने वाले लाखों विस्थापित आज दर दर की ठोकरे खाने पर मजबूर है जबकि दूसरी ओर
इंदिरा सागर और औंकारेश्वर बाँध बनाने वाली कम्पनी एन.एच.डी.सी. ने गत् ४ वर्षों में १२००
करोड़ रु. से अधिक का शुध्द लाभ कमाया है।
आज खण्डवा में एकत्र हम हजारों प्रभावित राज्य सरकार से मांग करते है कि : –
इंदिरा सागर परियोजना
१. माननीय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा दायर याचिका में
पहले ८ सितम्बर २००६ ओर फिर २ सितम्बर २००९ को यह आदेश दिया है कि किसानों
के समस्त वयस्क पुत्र और अविवाहित पुत्रियों को ५.५ एकड़ कृषि जमीन दी जाए,
इसका पालन करते हुए वयस्क पुत्रों को तुरंत जमीन दी जाय।
२. विस्थापित मजदूर परिवारों को डूब से खुलने वाली हजारों एकड़ तलक की जमीन
बाँटी जाए तथा सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जाय ताकि पानी खुलने पर, हर साल
गेहूँ व गर्मी की फसल कमाकर विस्थापित मजदूर परिवार भी इज्जतदार रोजगार कर
सके।
३. इंदिरा सागर डूब क्षेत्र में विस्थापित मछुआरों के साथ गुंडागर्दी एवं मारपीट की जा रही
हैं। इसे तत्काल रोका जाय और इंदिरा सागर में मछली मारने का अधिकार ठेकेदार
को नहीं, विस्थापित को दिया जाय।
४. कृषि जमीनों को एन.एच.डी.सी. ने मृट्ठी भर मुआवजा देकर कब्जा कर लिया, जिससे
किसान दोबारा जमीन नहीं खरीद पाया। इसलिए जमीन के लिए दी जाने वाले विशेष
पुनर्वास अनुदान ¼बढ़त राशि½ को हरदा कमाण्ड के अच्छे रेट १.५ से २ लाख रूपए
एकड़ दिया जाय।
५. अभी भी डूब क्षेत्र में छूटे हुए हजारों घर, जो मुआवजे से छूटे है, उनका भू-अर्जन
करके मुआवजा दिया जाय।
६. जहाँ जमीन डूब चुकी है और अब जीने का कोई जरिया बचा ही नही है, उन गाँवों के
सभी घरों का भू-अर्जन करके विस्थापितों को मुआवजा तथा पुनर्वास दिया जाय।
७. इंदिरा सागर डूब क्षेत्र विशेषत: हरदा जिले में भयावह भ्रष्टाचार फैला है। प्रभावितों के
अनुदान दलालों द्वारा अधिकारियों की मिलीभगत से निकाले जा रहे है। इस पर रोक
लगाई जाय और स्वतंत्र जाँच कर दोषियो को दण्डित किया जाय।
८. सभी पुनर्वास स्थलों पर विस्थापितों के लिए पूर्ण रोजगार मुहैया किया जाय सभी
विस्थापितों के बी.पी.एल. राशन कार्ड बनाया जाय और पुनर्वास स्थल पर स्कूल,
अस्पताल, पेयजल आदि सभी सुविधाऐं प्रदान की जाय।
९. बहुत से गाँवों में अभी तक परिवार सूची ही नही बनी है और वे पुनर्वास के समस्त
लाभों से वंचित है, उन गाँव की परिवा सूचियाँ बनाकर, सभी विस्थापितों को पुनर्वास
के लाभ दिये जाय।
१०. हंडिया नेमावर तक के पीछे के इंदिरा सागर के डूब में आने वाले छूटे हुए गाँव का
सर्वे करके परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास दिया जाय।
११. २५ प्रतिशत् से कम बची जमीन के भू-अर्जन के साथ परिसम्पत्तियों का भी अर्जन
किया जाय।
१२. जहाँ घर डूब है और जमीने बची है वहाँ १ किलो मीटर के अंदर पुनर्वास स्थल का
निमार्ण किया जाय।
१३. इंदिरा सागर बाँध स्थल पर जल स्तर सूचित करने वाला स्केल मिटा दिया गया है,
जो कि अत्यंत गंभीर है। बाँध का जल स्तर बताने वाला सार्वजनिक स्केल पुन: लिखा
जाय।

औंकारेश्वर परियोजना

१. उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार विस्थापितों को सिंचित
एवं उपजाऊ जमीन देकर बसाया जाय।
२. विस्थापितों को जमीन आवंटन के लिये अतिक्रमित जमीनों को न दिया जाय, ताकि
अन्य गरीब परिवारों की रोटी न छिने और विस्थापित की सुरक्षति बसाहट हो सके।
३. उच्च न्यायालय के दिनांक २३ सितम्बर २००९ एवं अन्य सभी आदेशों का तत्काल पालन
किया जाय।
४. न्यायालयीन आदेश तथा पुनर्वास नीति के अनुसार कमाण्ड एरिया में विस्थापितों की
इच्छा अनुसार घर प्लॉट दिये जाय।
५. छूटे हुए मकानों का भू-अर्जन किया जाय।
६. किसानों को अपर्याप्त मुट्ठी भर मुआवजा दिया गया है। कृषि जमीन का विशेष
पुनर्वास अनुदान ¼बढ़त राशि½ कम से कम १.५ से २ लाख रूपए एकड़ दिया जाय।
७. तालाब में मछली ठेकेदार को नहीं दी जाय। मछली मारने का सम्पूर्ण अधिकार
विस्थापित को दिया जाय।
८. पुनर्वास के लाभों से मनमानी पू्र्वक वंचित सभी परिवारों को घर प्लॉट, अनुदान व
समस्त लाभ दिया जाय।
९. सन् २००४ में धाराजी प्रकरण में सैकड़ो लोगों को एन.एच.डी.सी. द्वारा पानी छोड़ने से
बह जाना तथा पिछले महिने गांव कामनखेड़ा में नन्ही हरिजन बालिका का
एन.एच.डी.सी. द्वारा पानी बढ़ाने से मौत के लिए जिम्मेदार एन.एच.डी.सी. को दण्डित
किया जाय।
आशा है आप उपरोक्त पर तत्काल एवं गंभीरता से कारवाई करेंगे।
दिनांक : २८ अक्टूबर २००९
भवदीय,
इंदिरा सागर एवं औंकारेश्वर बाँध
प्रभावित हजारों विस्थापित

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उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायलय द्वारा पुनर्वास के लिए दिए गए निर्देशों और फैसलों को लागू किए जाने के लिए उपर्युक्त मांगें की गई हैं । इन मांगों के समर्थन में पूर्वघोषित कार्यक्रम के अनुसार हजारों विस्थापित जिला मुख्यालय पर लोकतांत्रिक तरीके से धरना दे रहे थे । जिला प्रशासन के समस्त अधिकारी लगता है इस पूर्व सूचना के कारण ही एक साथ ’बीमार’ पड़ गये थे । इन परिस्थितियों में धरनारत कुछ आन्दोलनकारी जिला कलेक्टर के दफ़्तर में दरियाफ़्त करने जा रही थीं । यही पुलिस द्वारा आन्दोलन की प्रमुख नेता चित्तरूप पालित , रामकुँवर रावत तथा कमला यादव को पुलिस द्वारा बर्बर तरीके से पीटा गया एवं फर्जी धाराएं लगा कर गिरफ़्तार कर दिया गया । इसके पश्चात खंडवा स्थित नर्मदा बचाओ आन्दोलन के दफ़्तर में बिना किसी वारंट छापा मार कर कम्प्यूटर आदि की छानबीन की गई तथा आन्दोलन के एक अन्य नेता आलोक अग्रवाल को भी पीट कर गिरफ़्तार कर लिया गया ।

रामकुँवर तथा चित्तरूपा

रामकुँवर तथा चित्तरूपा

समाजवादी जनपरिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील ने खण्डवा का दौरा करने के बाद कहा है कि म.प्र. की भाजपा सरकार ने शान्तिपूर्ण आन्दोलनकारियों पर बर्बर दमन चक्र चला कर अपने जन विरोधी स्वरूप को उजागर कर दिया है । सुनील ने विस्थापित आन्दोलनकारियों की समस्त मांगे तत्काल मानने तथा गिरफ़्तार लोगों को रिहा करने की मांग की है ।

 

नर्मदा बचाओ आन्दोलन दफ़्तर पर अवैध छापा

न.ब.आ. दफ़्तर पर अवैध छापा

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