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मुख्य निर्वाचन आयुक्त ,
भारत का निर्वाचन आयोग ,
नई दिल्ली .
महाशय ,
२२५ वाराणसी कैन्टोनमेन्ट विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से हजारों वैध मतदाताओं के नाम गायब होने के सन्दर्भ में मैंने उप चुनाव आयुक्त,मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा जिला निर्वाचन अधिकारी को मतदान की पूर्व ज्ञापन दिए थे । गत लोक सभा निर्वाचन में वाराणसी जिले की मतदाता सूचियों में व्यापक गड़बड़ियों तथा हजारों मतदाता के आयोग द्वारा जारी परिचय पत्र धारक होने के बावजूद मतदाता सूची में नाम न होने के बारे में आयोग से कई शिकायतें दर्ज करायी गयी थीं ।
लोकसभा निर्वाचन के बाद मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम डाकियों और डाकघर द्वारा कराया गया था । डाकियों द्वारा पतों की पुष्टि प्रमाणित किए जाने के बाद पोस्टमास्टर द्वारा प्रारूप ६ अग्रसारित किए गए थे । यह उल्लेखनीय है कि प्रारूप ६ मं परिवार के उन व्यक्तियों का हवाला भी दिया गया था जिनका सूची में नाम था । मतदाता पुनरीक्षण के इस दौर की पोस्टमास्टर द्वारा हस्ताक्षरित पावतियाँ मौजूद होने के बावजूद अद्यतन मतदाता सूची से हजारों नाम गायब थे । फलस्वरूप हजारों नागरिक मताधिकार से वंचित हो गए ।आयोग का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया गया था कि वाराणसी के स्थानीय दैनिकों में भारी संख्या में भरे हुए प्रारूप ६ जला दिए जाने की खबर छपी थी ।
आज के अखबारों में उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी के हवाले से सूचित किया गया है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी पाए जाने के कारण कायमगंज वि.स. क्षेत्र के ४५ मतदान केन्द्रों में मतदाता सूची की गड़बड़ी को ध्यान में रख कर पुनर्मतदान का आदेश हुआ है।उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा यह बताया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री सलमान खुर्शीद तथा उनकी पत्नी श्रीमती लुइस खुर्शीद के नाम भी मतदाता सूची से गायब थे तथा इन मतदान केन्द्रों में भी पुनर्मतदान होगा ।
मैं भारत के निर्वाचन आयोग में पंजीकृत गैर मान्यताप्राप्त राजनैतिक दल समाजवादी जनपरिषद का प्रदेश अध्यक्ष हूँ मेरे हस्ताक्षरों से अधिकृत दल के उम्मीदवार गोरखपुर जिले के धुरियापार तथा कौड़ीराम विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं ।
२२५ वाराणसी कैन्टोन्मेन्ट विधासभा क्षेत्र की मतदाता सूची से मेरा, मेरी पत्नी डॉ. स्वाति तथा हजारों मतदाताओं के नाम ,आयोग द्वारा जारी मतदाता परिचय पत्र और जमा किए प्रारूप ६ की हस्ताक्षरित पावती रसीदें होने के बावजूद गायब हैं तथा ३ मई को हुए चुनाव में इस प्रशासनिक तृटि के कारण हम मताधिकार का प्रयोग करने से मरहूम हो गए ।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर आयोग से यह माँग है कि :
- २२५ वाराणसी कैन्टोनमेन्ट की मतदाता सूची की गड़बड़ियों,प्रारूप ६ गायब किये/जलाये जाने तथा परिचय पत्र धारक मतदाताओं के नाम सूची में न आने की जाँच हो तथा जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाय ।
- त्रृटिपूर्ण मतदाता सूची के आधार पर हुए मतदान को रद्द कर पुनर्मतदान काराया जाए।
ऐसा न किया जाना आयोग द्वारा मनमाने और विभेदपूर्ण कार्रवाई होगी तथा उस स्थिति में न्याय प्राप्ति के अन्य संवैधानिक रास्ते चुनने के लिए हम स्वतंत्र होंगे ।
भवदीय ,
अफ़लातून.
—
Aflatoon अफ़लातून ,State President,Samajwadi Janparishad(U.P.),( फोन 0542 – 2575063)
5,Readers Flats,Jodhpur Colony,
Banaras Hindu University,
Varanasi,Uttar Pradesh,INDIA 221005
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ऐसी गड़बड़ीयाँ आम हिअ, मगर खराब तब लगता है, कब एक तो लोग मतदान करने निकलते ही नहीं उपर से अगर नाम ही गायब हो तो.. क्या कहने. मतदान फर्ज ही नही अधिकार भी है.
इस मनमानी और विभेदपूर्ण कार्रवाई का हम सब विरोध करते हैं
आदरणीय अफलातून जी,
बड़ा दु:ख हुआ कि आपको प्रशाशनिक त्रुटियों के कारण मतदान से वचिंत होना पड़ा। मुझे यह नही समझ मे आता कि बिना किसी जॉंच के नाम हटा कैसे दिये जाते है ? बड़ी शर्म और जिल्लत होती है कि हम भारत के नागरिक होते हुऐ भी मतदान जैसे महत्वपूर्ण अधिकारों से वंचित कर दिये जाते है। यह पीड़ा आपकी और वाराणसी वासियों की ही नही है, यह पूरे देश की है।
आपको विस्वास नही होगा कि हमारे इलाहाबाद पश्चिम विधान सभा क्षेत्र में कई ऐसे घर है जिनके मूल मालिकों के नाम वोटर लिस्ट मे नही है किन्तु उसी मकार नम्बर मे 10 से लेकर 50 वोटर है। जो इस मकान में रहते ही नही है।
मतदान की महत्वपूर्णता को देखते हुऐ एक राष्ट्रीय मतदान नीति बनानी चाहिये, जो आगामी लोक सभा चुनावों मे अधिक्तम वोटिंग करवायें। किसी भारत के नागरिक को इस बार से वंचित न रखा जाये कि उसका नाम वोटर लिस्ट मे है।
आपके पास जानकारी और आकड़े है अगर आपको लगता है कि इसकी जॉच होनी चाहिये और चुनाव आयोग नही करता है तो आपके पास न्यायालय का विकल्प शेष है जो आज कल काफी सक्रिय है।
संघर्ष करें साथी.. मनोबल बनाये रखें..
यूपी में दम है क्योंकि जुर्म यहाँ कम है..
आँकड़े का ऐसा खेल शायद जुर्म के मामले भी हुआ हो.. .
चुनाव आयोग की ओर से तानाशाही भी होती है. इतने कड़े नियम कानून बनाने से भारत जैसे देश की कुछ अनपढ़ तो कुछ लापरवाह जनता मतदान के लिए और भी हतोत्साहित होती है. नियमों को शिथिल और व्यवहारिक किया जाना चाहिए.
आपकी चिंता के मूल में मैं सरकारी कर्मचारियों द्वारा चुनाव कार्यो में की गई लापरवाहियां देख रहा हूं. यह सब मतदान वाले दिन सामने आता है. पुनरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति की जाती है.