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Archive for सितम्बर 16th, 2008

कुश के चिट्ठे पर हमारे मित्र संजय बेंगाणी ( जिनसे हमारी भी कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है) ने कहा –

अफ्लातुनजी से व्यक्तिगत कोई शिकायत नहीं, हम में मित्रता है. उन्हे मैं बताना चाहुंगा की आतंकवादियों में और हिन्दु संगठनो में जो सबसे बड़ा फर्क है वह है भारत के प्रति निष्ठा. अगर आपको यह नजर नहीं आता तो क्या कहें! 🙂

हमें इन हिन्दू संगठनों की भारत के प्रति निष्ठा भी राष्ट्रतोड़क लगती है । देश में फैली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में भगवा झंडे को हिंदू राष्ट्र के ध्वज के रूप में सलाम करने की सीख दी जाती है और अबोध बच्चों को यह बताया जाता है कि सिर्फ हिंदू ही इस राष्ट्र के असली नागरिक हैं । दूसरे धर्म वालों के खिलाफ़ नफ़रत भरी जाती है । इक़बाल के गीत में कहा गया है कि , ‘ सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा,हम बुलबुलें हैं इसकी,यह गुलिस्तां हमारा’ । इन शाखाओं में प्रचलित इसी तर्ज के एक गाने में कहा गया है , ‘ उन बुलबुलों को कह दो कहीं और चमन ढूँढें ‘ । यह स्पष्ट रूप से गैर हिन्दुओं को देश छोड़ने को कहना है । अगर देश के करोड़ों बच्चों के मन में इस तरह का जहर भर दिया गया तो हमारा राष्ट्र क्या बनेगा ?

    कुछ ही दिन पहले संजय , जिनका पूर्वोत्तर से विशेष नाता है ने काश्मीर से तुलना करते हुए वहाँ अन्य प्रान्तों के नागरिकों को जमीन खरीदने पर रोक आदि का जिक्र किया था। हमने संजय  से गुजरात ( जहाँ वे रहते हैं ) में आदिवासी की जमीन खरीद सकते हैं ,क्या ? – यह सवाल किया था। गुजरात के इस प्रगतिशील भूमि सुधार कानून को यदि वे समझ लेते तब शायद पूर्वोत्तर की बात भी समझ पाते । परन्तु वे महटिया गए ।

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