ज्यादातर चिट्ठेकारी करने वाले ही चिट्ठोँ पर टिप्पणी करते हैँ | पिछली 10 तारीख से ,पहले हरदा अौर फिर होशँगाबाद जेल मेँ फर्जी मामलोँ मेँ जेल मेँ बन्द साथी शमीम मोदी के प्रति हुये अन्याय के प्रतिवाद मेँ चिट्ठालोक के टिप्पणीकारोँ मेँ करीब – करीब पूरी सर्व-सम्मति दिखी |शमीम को दोषी मानने वाले एकमात्र श्री चन्दन चौहान ने प्रकरण को गहराई से नहीँ लिया , लगता है | यह कबूल करने मेँ मुझे तनिक भी सँकोच नहीँ है कि चिट्ठालोक की जम्हूरी चेतना के प्रति मैँ अभिभूत हूँ तथा कम से कम चार चिट्ठेकारोँ के प्रति मुझे पूर्वाग्रह था जो गलत साबित हुआ |शमीम पिछले विधान सभा चुनाव मेँ हरदा से समाजवादी जनपरिषद की उम्मीदवार थी |
उ.प्र के प्रशासनिक अधिकारी आमोद कुमार वहाँ केन्द्रीय पर्यवेक्शक थे | शमीम की गिरफ्तारी की खबर पर उन्होँने कहा,’मुझे लगा था कि चुनाव बाद कार्यपालिका शमीम के खिलाफ बदले की कार्रवाई करेगी लेकिन न्यायपालिका की भूमिका भी सन्देहास्पद है| बेरेली जेल मेँ बन्द माफिया बबलू श्रीवास्तव को लखनऊ का जज उसके मित्र की बेटी की शादी मेँ भाग लेने के लिये बाराबँकी जाने की इजाजत देता है|मँगलूर मे सरे आम अौरतोँ को पीटने वालोँ को तुरन्त जमानत मिल जाती है लेकिन सामाजिक कर्मी की जमानत की अर्जी नामँजूर कर देे जाती है |मुझे लगा था कि चुनाव बाद कार्यपालिका शमीम के खिलाफ बदले की कार्रवाई करेगी लेकिन न्यायपालिका की भूमिका भी सन्देहास्पद है|’
सक्रिय सामाजिक – राजनैतिक जीवन शुरु करने के पहले शमीम ने दिल्ली के श्रीराम कालेज से एम. ए.,टाटा इँस्टीट्यूट आफ सोशल साँइन्सेस से एम . फिल अौर बरकतुल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से वकालत की पढाई की थी| टाटा सँस्थान के अध्यापकोँ ने शमीम की रिहाई के लिये एक सार्वजनिक आनलाईन पिटिशन प्रस्तुत किया है|इस पर समर्थन जताने की मैँ हिन्दी चिट्ठालोक के समस्त सहानुभूतिक पाठक से निवेदन करता हूँ| आप इस प्रतिवेदन पर हिन्दी में नाम अौर समर्थन व्यक्त कर सकते हैं |ख्यातनाम चिट्ठेकार श्री सुरेश चिपलूणकर ने इस प्रकरण मेँ नेता विरोधी दल श्री अडवाणी के जालस्थल पर अपनी राय दर्ज की है |
कुछ अन्य रपट : https://samatavadi.wordpress.com/2009/02/24/satyagrahi_shivaraj_shamim_modi_arrest/
http://www.bhaskar.com/2009/02/21/0902210701_protest_against_government_by_ngo_in_bhopal.html
https://samatavadi.wordpress.com/2007/08/23/anuragshamimexternmentharda/
http://www.patrika.com/news.aspx?c=0&id=127629
http://www.patrika.com/news.aspx?c=0&id=128223
http://thatshindi.oneindia.in/news/2009/02/20/1235073055.html
चिट्ठालोक की चेतना को प्रणाम
मार्च 1, 2009 अफ़लातून अफलू द्वारा
यहाँ कोई कानून/नियम नहीं है। सब जंगल राज है। जब/जहाँ /जिसका/जैसा बस चलता है/ मौका लगता है, वह उसका अपने हित/ दूसरों के अहित, में लाभ उठाता है।
हर पार्टी/दल/राजनेता/विभाग/व्यक्ति वस्तुत: एक ही चरित्र(?) के हैं।
शमीम मोदी के बारे में पोस्ट लिखने के लिये बहुत धन्यवाद.
कल सिरिल ने इस आनलाइन पिटीशन के बारे में बताया था और मैं कल इस पर अपने हस्ताक्षर कर चुका हूं.
हिन्दी चिट्ठाकारी में अधिकांश लोग समाज में सकारात्मक योगदान करना चाहते हैं। उन की पताका का रंग कुछ भी क्यों न हो। यह एक बात है जो उन्हें नजदीक बनाए रखती है और एक मंच पर लाती है। बावजूद तमाम मतभेदों के। उन का लक्ष्य एक है समाज को बेहतर होते हुए देखना।
हिन्दी चिट्ठाकारी में अभी लोग काफी उत्साहित होकर जुटे हुए हैं …. आशा है लोगों का उत्साह ऐसा ही बना रहेगा।
BHAGWAAN KARE YAH EKTAA HAMESHA KAAYAM RAHE
[…] चिट्ठालोक की चेतना को प्रणाम […]
[…] चिट्ठालोक की चेतना को प्रणाम […]