म.प्र. का बैतूल जिला पुलिस द्वारा महिलाओं पर अत्याचार के लिए प्रसिद्ध होता जा रहा है। बीते दिनों बैतूल जिले में एक सप्ताह के अंदर दो घटनाएं घटी। पहले 27 मई को सारणी में निजी सुरक्षा गार्डों द्वारा महिलाओं के साथ छेड़खानी का विरोध होने पर गोली चलाकर एक आदिवासी युवक की जान ले ली गई तथा छ: युवकों को घायल कर दिया गया।
पुलिस ने महिलाओं एवं गरीब बस्ती के पक्ष में खड़े होने के बजाय मामूली धाराओं का प्रकरण बनाकर हत्यारों को बचा लिया। दूसरी घटना में पुलिस ने 2 जून की रात्रि को आमला थाने में एक दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया।
आमला की घटना इस प्रकार है। पास के गांव जंबाड़ा की 48 वर्षीय दलित महिला जानकीबाई को उनके पति व बेटे के साथ आमला पुलिस ने दहेज प्रताड़ना के केस में 2 जून को गिरफ्तार किया। मुलताई न्यायालय द्वारा जानकीबाई को इस केस में जमानत नहीं दी गई व उन्हें बैतूल जेल ले जाने का आदेश दिया गया। आमला पुलिस उन्हें बैतूल जेल न ले जाकर आमला थाने ले कर गई। जहां रात में शराब के नशे में थाना प्रभारी सहित चार पुलिस वालों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया। अगले दिन दोपहर में जानकीबाई को बैतूल जेल ले जाया गया। जहां शाम को जानकीबाई ने कम्पाउंडर व महिला प्रहरी के माध्यम से जेलर को बलात्कार की घटना के बारे में बताया। जेलर ने तुरंत बैतूल पुलिस अधीक्षक को फोन किया व अगले दिन 4 जून को लिखित आवेदन महिला के बयान के साथ एस.पी., कलेक्टर आदि को भेजा। इसी दिन पीड़ित महिला का मेडिकल परीक्षण व अजाक (अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला कल्याण) थाना में प्रथम सूचना रपट दर्ज की गयी। अगले दिन 5 जून को महिला को जमानत मिली और 6 जून को वो जेल से बाहर आई ।
सारणी की घटना इस प्रकार है। यहां पर म०प्र० के बड़ा ताप विद्युतगृह है। मध्यप्रदेश बिजली बोर्ड के प्राइवेट सुरक्षा गा्र्ड यहां कि शक्तिपुरा बस्ती की आदिवासी व दलित महिलाओं के साथ छेड़खानी करते रहते थे। 27 मई को जब सावित्री बाई व कुछ अन्य महिलाएं बस्ती के पास नाले में कपड़े धोने गई और वहां से गुजरते हुए म.प्र. बिजली बोर्ड के निजी सुरक्षा गा्र्ड छेड़खानी करने लगे। तो कुछ महिलाएं बस्ती से कुछ लड़कों को बुला लाई । जब इन लड़को ने इन सुरक्षा गार्डों का प्रतिरोध किया तो निजी सुरक्षा गार्डों ने इन लड़कों पर गोलियां चला दी।
पुलिस ने इन घायल व मरने वाले लड़को पर कोयला चोरी व पत्थर मारने का झूठा आरोप दर्ज किया है। साथ ही निजी सुरक्षा गार्डों पर आत्मरक्षा में गोली चलाने का केस बनाकर मामले को हल्का बना दिया। सभी गार्डों की जमानत हो चुकी है व वे खुल्ले घूम रहे हैं ।
समाजवादी जन परिषद् ने इन दोनों घटनाओं में पुलिस की मनमानी व अत्याचार के खिलाफ 11 जून को बैतूल में धरना प्रदर्शन व आमसभा का आयोजन किया। बाद में भोपाल से म०प्र० महिला मंच का एक जांच दल, जिसमें स.ज.प. से भी दो महिला साथी शामिल थी, इन दोनों जगह पर गया। जो जांच पड़ताल उन्होनें की, उसके आधार पर एक रिपोर्ट उन्होनें तैयार की हैं। इस रिपो्र्ट में निम्न तथ्य सामने आए।
आमला की घटना में :-
(1) पुलिस ने जानबूझकर पीड़ित महिला का बयान दर्ज करने व मेडिकल परीक्षण करवाने में देरी की।
(2) सामान्यत: बलात्कार के मामले में महिला के बयान व मेडिकल परीक्षण के बाद आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाता है। किन्तु इस घटना के 25 दिन बाद तक आरोपी पुलिसक्र्मियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। ये कहकर बात टाली जा रही है कि इस मामले की जांच चल रही है। हालांकि आम लोगों पर जब बलात्कार का आरोप लगता है, उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है।
(3) पीड़ित महिला के साड़ी ब्लाउज तो साक्ष्य के रुप में जब्त कर लिए गए हैं। किन्तु सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य वो गमछा था जिससे बलात्कारियों ने महिला के हाथ बलात्कार के समय बांधा था। इसी गमछे से जानकी्बाई ने बलात्कार के बाद अपने शरीर को पोंछा था। पीड़ित महिला के हर बयान में उस गमछे का जिक्र है फिर भी इस गमछे को जब्त क्यों नहीं किया गया?
(4) अभी तक कोई पहचान परेड नहीं कराई गई। इस घटना की जांच शुरु होने से पहले आरोपियों के पास 2 से 3 दिन का समय था जिसमें वो आराम से घटनास्थल से सारे साक्ष्य गायब कर सकते थे।
(5) दो पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण दूसरे जिलों में किया गया है जबकि बाकी दो अभी भी उसी थाने में कार्यरत हैं। इतना गंभीर अपराध पुलिस द्वारा पुलिस हिरासत में जानकीबाई के साथ हुआ है, लेकिन न तो पुलिस वालों की गिरफ्तारी हुई, न ही उनका निलंबन हुआ।
(6) जिला कलेक्टर ने इस मामले की न्यायिक जांच जिला जज को सौंपी है, जिन्होनें इस मामले को आमला के अतिरिक्त जज को सौंप दिया है। वे स्थानीय व्यक्ति हैं व आसानी से प्रभावित किए जा सकते हैं।
(7) म०प्र० महिला आयोग की टीम 05 जून को पीड़ित महिला से मिली थी। उस टीम मे एक महिला डॉक्टर भी थीं और उन्होनें महिला का परीक्षण करने पर स्पष्ट कहा कि बलात्कार होने के संकेत हैं। दूसरी ओर महिला चिकित्सक डॉ. वंदना घोघरे जिन्होंने प्रशासन की ओर से जानकीबाई का मेडिकल परीक्षण किया है उन्होंने अपनी रिपोर्ट में – हाल में संभोग के बारे में कोई स्पष्ट राय नहीं- कहकर मामले को कमजोर बनाने की कोशिश की हैं।
सारणी की घटना में :-
(1) सावित्री बाई (जिनके साथ छेड़खानी हुई) छेड़खानी की घटना की रिपोर्ट कराने 27 मई से दो-तीन बार पहले भी सारणी थाने गई थी। पर थानेदार ने उनकी रिपोर्ट दर्ज करें बगैर ही उन्हें वापस लौटा दिया।
(2) निजी सुरक्षा गार्डों की तरफ से जो एफ.आई.आर. बस्ती के युवकों पर दर्ज किए गए हैं वे काफी मनमाने हैं। उसमें कोयला चोरी की बात कही गई है पर इस बाबत पुलिस के पास कोई साक्ष्य नहीं हैं। पुलिस ने कोयला चोरी का कोई अलग प्रकरण भी नहीं बनाया है।
(3) सावित्री बाई के साथ छेड़खानी का रिपोर्ट में कहीं कोई उल्लेख भी नहीं है और न ही उसका कोई प्रकरण पुलिस ने बनाया है।
(4) गार्डों ने जो गोलियां चलाईं, यदि वे आत्मरक्षा में चलाई हैं तो गोली के सारे छर्रे युवकों को कमर के ऊपर क्यों लगे हैं ? घायल लोगों में से किसी किसी को 27-30 छर्रे लगे हैं क्या इतनी गोलियां चलाना आत्मरक्षा में वाजिब माना जा सकता है ?
(5) घटना का स्थल भी विवादास्पद हैं। पुलिस ने जिस स्थान को अपराध स्थल बतायाहै वो म०प्र० बिजली बोर्ड के परिसर के पास और बस्ती से दूर हैं। बस्ती के लोग जिस स्थान को अपराध स्थल बता रहे हैं वो बस्ती के पास और म०प्र० बिजली बो्र्ड के परिसर से 2-3 किमी दूर है।
(6) पीड़ित महिला व बस्ती के अन्य लोग जब अ.जा.क. थाने, बैतूल में रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो इनकी रिपो्र्ट ही नहीं दर्ज की गई।
इन दोनों घटनाओं से यह स्पष्ट हैं कि पुलिस का जो ढांचा हमारे देश में हैं वो बहुत ही भ्रष्ट है। पुलिस को अपने अधिकारों का मनमाना उपयोग करने की बहुत ज्यादा आजादी है। पुलिस चाहे तो कोई रिपोर्ट दर्ज करे, चाहे तो रिपो्र्ट ही न दर्ज करे, जो मन मे आए वो प्रकरण बनाए, चाहे तो किसी पर भी झूठा केस बना दे और चाहे तो पैसा लेकर केस रफा-दफा कर दे।
आमला वाले मामले में यह विडंबना भी दिखाई देती है कि महिलाओं के हित में दहेज के खिलाफ जो कानून बना है उसे पुलिस ने एक महिला को ही प्रताड़ित करने के लिए इस्तेमाल किया। अत: जब तक इस भ्रष्ट पुलिस और प्रशासन का ढांचा नहीं बदला जाता तब तक सिर्फ़ महिलाओं की रक्षा के कानून बना देने से कुछ नहीं होने वाला।
म०प्र० में जहां एक ओर मुख्यमंत्री प्रदेश में सुशासन, महिलाओं का सम्मान व भारतीय संस्कृति के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर खुलेआम अत्याचार हो रहे हैं और अत्याचारियों को बचाया जा रहा है।
पिछले दिनों म०प्र० में और भी कई महिलाओं पर पुलिस द्वारा अत्याचार की घटनाएं हुई हैं। उनमें से कुछ का विवरण इस प्रकार है –
(1) पन्ना जिले के सिमरिया पुलिस थाना में एक नाबालिग लड़की बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करने आई थी। ये 2 मार्च 2009 की घटना है। उसकी रि्पोर्ट दर्ज करने के बजाय सब इंस्पेक्टर नरेन्द्र सिंह ठाकुर व अन्य दो पुलिसवालों ने उस लड़की के साथ थाने में ही सामूहिक बलात्कार किया।
(2) 30 अप्रैल को रायसेन जिले में गूगलवाड़ा ग्राम की नौ साल की बालिका के साथ बलात्कार हुआ। मगर पुलिस ने मामूली छेड़छाड़ का मामला दजZ किया और केस को हल्का बना दिया।
लेखिका :शिउली वनजा
केसला, जिला – होशंगाबाद
(म०प्र०)
[ शिउली वनजा नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की अर्थशास्त्र की छात्रा है तथा विद्यार्थी युवजन सभा की सदस्य है । उपर्युक्त जांच दल में वह शामिल थी । ]
All these incidents are shocking but are also in general occurring in tribal area. JNU itself would be a good venue to organize some protest events against such cases and students of JNU and other universities in the capital should be made aware and activated to become a part of the delegation reporting to the Home Minister and higher police authorities in the capital.
Situation is worsening day by day and life of dalit, poor and tribal women is becoming difficult.
मध्यप्रदेश ही नहीं , पूरे देश में पुलिस का ढांचा लचर है। सड़ चुकी व्यवस्था को बदलने की इच्छा नेताओं में दिखती नहीं।
मुझे लगता है कि जैसे ‘जागो ग्राहक जागो’ जैसे विज्ञापनों द्वारा ग्राहकों को उनके अधिकार बताए जा रहे हैं कुछ उसी तर्ज पर स्त्रियों को बलात्कार के बाद क्या किया जाए जिससे उनका पक्ष कमजोर न होकर पक्का बन सके बताया जाना चाहिए। सबूतों की कैसे रक्षा की जाए। यदि मेडिकल जाँच तुरन्त न हो पाए तब क्या करना चाहिए आदि के बारे में जागृत करना चाहिए। पुलिस में रिपोर्ट लिखाते समय किसे साथ ले जाना चाहिए। चाहे इसके लिए डॉक्यूमेन्ट्री ही बनाकर गाँव की स्त्रियों, शहरों की बस्तियों की स्त्रियों, स्कूल कॉलेज की छात्राओं को दिखाईं जाएँ। शायद हर गाँव, कस्बे,शहर में कुछ ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता होनी चाहिए जिन्हें साथ लेकर स्त्री थाने जा सके। यह तो निश्चित है कि घर , बाहर और पुलिस चौकियाँ कोई भी स्थान स्त्री के लिए पूर्ण सुरक्षित नहीं रह गया।
इस समस्या को अब और बुहारकर कालीन के नीचे नहीं दबाया जा सकता। यदि देश की आधी आबादी सदा बलात्कार से सहमी जिएगी तो यह कैसा लोकतंत्र या स्वाधीनता कहलाएगी। और भयभीत स्त्री कैसे समाज को जन्म देगी और समाज के उत्थान में कितना योगदान दे पाएगी?
घुघूती बासूती
Vakai sharmnaak ghatnaayein hain ye.
सारी व्यवस्था, क्या पुलिस क्या नेता देश को लालगढ़ की ओर धकेल रहे हैं।
kar buland khudi ko itna ki …..
forget about the tribal areas, i live in bangalore, the silicon vally of india. and i see these ***** police take 50 ruppes form the road side vendors.
simple fact, do you think a police will take action against another police !! do you think the police is reliable !!
do you think home minister is reliable !!
if at least anyone of them were reliable, i mean even a single one of these officials, then , these crime against humanity would not have been come to any ones mind … forget about these things happening.
you educated people cannot do anything because you are less in number, uneducated people can seldom do anything because they dont know how to do …
UNITE FRIENDS .. UNITE ….
few police man can do crime and still remain cool because they are all united … and they know how to make food of the public … what do you think, if the police does not take the complaint, the world stops there … just ***** these police …. there are direct laws .. that you can file case directly in court and you can file case against corrupt police too.
what do you think, if police can put incorrect cases against public, public cannot put hundreds of cases against them ? they can …. and here is the **** click .. can few police men arrange for more evidences than huge number of public ?
i just have a thought ……. mosquitoes suck only till you are asleep, get up and slap and the problem is over……
there is no need to make a bloody revolution to kill the opponents. rather , gandhi ji has already given us a very good system .. democracy .. why worry at all …
i propose the educated people to let the revolution of unity spread across the country …… at least first get united among yourself ..
but here is a very cruel fact …… we know the meaning literally .. and not sensibly ……..
its same as swiming .. learning form the book “how to swim” is not gonna make a difference, we need to start by first putting our legs in water… and slowly , everything becomes easier and easier and then natural …
i propose, whoever you are , and whereever you are, just start doing one thing for the country, and one thing for your neighbout .. do for sometime, and your neighbour will get inspired automatically, and once this chain is up, we will make a difference in our next election.
if you come along , and try , its easy , we will win ..
else, dont ever show argument against corruption and in-humanity , whether it happens with someone else , or with you. if you cannot take action, at least don’t be Hippocratic
jai bharat !!
पहले गाँवोँ मेँ और कस्बो मेँ स्त्री को , कन्या को सम्मान और समानाधिकार दिये जाने पर भी तो शिक्षा और ठोस कार्यवाही होना जरुरी है –
जब अश्लील फिल्मेँ,भौँडे गाने, गाँव और कस्बोँ तक पहुँच जाते हैँ तब, सरकार और समाज सुधारक , कोई अच्छा कदम क्यूँ नहीँ उठाते ?
स्त्री की शारीरिक कमजोरी को फायदा उठाकर, कब तक इसी तरह,बेआबरु किया जाता रहेगा ?
– लावण्या
अति ्निन्दनीय… मै घुघूति जी की बातों को ही दोहराना चा्हूंगी..
महिलाओं के खिलाफ अत्याचार तो सभी जगह बढ ही रहे हैं, अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां मीडिया की लापरवाही और सरकार के प्रति अति उदार रवैये ने पुलिस और नेताओं के हौसले बढा दिए हैं जो अपराधियों के प्रति कड़ा रवैया अपनाने में सबसे बड़ी बाधा है। बल्कि यही कारण अपराध के बढ़ने का भी है क्योंकि अधिकांश अपराधी राजनैतिक शह के बिना ऐसा काम नहीं करते। मेरा सुझाव है कि मप्र में होने वाली ऐसी मानवाधिकार की घटनाओं व मीडिया कवरेज पर नियमित स्कैनिंग होनी चाहिए और हर माह यह इंटरनेट के जरिए लोगों तक जानी चाहिए। इससे मीडिया पर कुछ दबाव जरूर बनेगा।
अमन नम्र
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