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Posts Tagged ‘अहिंसा’

इस रचनात्मक कार्यक्रम में सभी बातों का समावेश नहीं हुआ है।स्वराज की इमारत एक जबरदस्त चीज है,जिसे बनाने में अस्सी करोड़ हाथों को काम करना है।इन बनाने वालों में किसानों की यानी खेती करनेवालों की तादाद सबसे बड़ी है।सच तो यह है कि स्वराज की इमारत बनाने वालों में ज्यादातर ( करीब 80 फीसदी) वही लोग हैं,इसलिए असल में किसान ही कांग्रेस है ऐसी हालत पैदा होनी चाहिए।आज ऐसी बात नहीं है।लेकिन जब किसान को अपनी अहिंसक ताकत का खयाल हो जायगा,तो दुनिया की कोई हुकूमत उनके सामने टिक नहीं सकेगी।

जो किसानों या खेतीहरों को संगठित करने का मेरा तरीका जानना चाहते हैं,उन्हें चंपारन के सत्याग्रह की लड़ाई का अध्ययन करने से लाभ होगा।हिंदुस्तान में सत्याग्रह का पहला प्रयोग चंपारन में हुआ था। उसका नतीजा कितना अच्छा निकला,यह सारा हिंदुस्तान भलीभांति जानता है। चंपारन का आंदोलन आम जनता का आंदोलन बन गया था और वह बिल्कुल शुरु से लेकर अखीर तक पूरी तरह अहिंसक रहा था। उसमें कुल मिलाकर कोई बीस लाख से भी ज्यादा किसानों का संबंध था।सौ साल पुरानी एक खास तकलीफ को मिटाने के लिए यह लड़ाई छेड़ी गई थी।इसी शिकायत को दूर करने के लिए पहले कई खूनी बगावतें हो चुकी थीं।किसान बिल्कुल द्सबास दिए गए थे।मगर अहिंसक उपाय वहां छह महीनों के अंदर पूरी तरह सफल हुआ।किसी तरह का सीधा राजनीतिक आंदोलन या राजनीति के प्रत्यक्ष प्रचार की मेहनत किए बिना ही चंपारन के किसानों में राजनीतिक जागृति पैदा हो गई।

……… इनके सिवा,खेड़ा,बारडोली और बोरसद में किसानों ने जो लड़ाइयां लड़ीं,उनके अध्ययन से भी पाठकों को लाभ होगा।किसान -संगठन की सफलता का रहस्य इस बात में है कि किसानों की अपनी जो तकलीफें हैं,जिन्हें वे समझते और बुरी तरह महसूस करते हैं,उन्हें दूर कराने के सिवा दूसरे किसी भी राजनीतिक हेतु से उनके संगठन का दुरुपयोग न किया जाए।किसी एक निश्चित अन्याय या शिकायत के कारण को दूर करने के लिए संगठित होने की बात वे झट समझ लेते हैं।उनको अहिंसा का उपदेश करना नहीं पडता।अपनी तकलीफों के एक कारगर इलाज के रूप में वे अहिंसा को समझकर उसे आजमा लें और फिर उनसे कहा जाए कि उन्होंने जिसे आजमाया है वही अहिंसक पद्धति,तो वे फौरन ही अहिंसा को पहचान लेते हैं और उसके रहस्य को समझ जाते हैं।

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