यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो ?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो ?
यदि हां तो मुझे तुम से
कुछ नहीं कहना है ।
………………
इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा
कुछ भी नहीं है
न ईश्वर
न ज्ञान
न चुनाव
………………
आखिरी बात बिल्कुल साफ
किसी हत्यारे को कभी मत करो माफ
चाहे हो वह तुम्हारा यार
धर्म का ठेकेदार ,
चाहे लोकतंत्र का
स्वनामधन्य पहरेदार ।
– सर्वेश्वरदयाल सक्सेना.
समाजवादी सरकारों का यह दावा हुआ करता था कि किसी भी साम्प्रदायिक हिंसा पर ३६ घण्टे के अन्दर काबू पाया जा सकता है। अन्तर्जातीय और अन्तर-धार्मिक पसन्द से किए गए विवाह करने वाले प्रेमी-युगलों के खिलाफ खापों में लिए गए फैसलों के अनुरूप हिंसक हमले और प्रतिहिंसा निश्चित तौर पर चिन्ता का विषय हैं किन्तु पश्चिमी उ.प्र. के लिए नई बात नहीं है । इस बार इनके बहाने साम्प्रदायिकता की आग को गांवों तक ले जाने में सभी दलों और सरकारी मशीनरी का घिनौना चेहरा सामने आया है । राहत शिविरों से अपने मूल गांव न लौटने के शपथ पत्र भरवाने की सरकार द्वारा कोशिश की गई। इसका परिणाम साम्प्रदायिक वैमनस्य को एक स्थायी भौगोलिक विभाजन देने जैसा हो जाता।शुक्र है कि न्यायपालिका ने इस मामले में हस्तक्षेप कर इसे रोका।
सूबे में सत्तानशीन दल के मुखिया ने कह दिया कि राहत शिविरों में कोई है ही नहीं । इसके दो ही दिन बाद मण्डलायुक्त द्वारा राहत शिविरों में ३४ बच्चों के ठण्ड से मरने की रपट आई है । उत्तर प्रदेश के नागरिक होने के नाते हम इस परिस्थिति से मर्माहत हैं। एक ओर साम्प्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को सार्वजनिक तौर पर सम्मानित किया जाना तो दूसरी ओर प्रशासनिक गैर-जिम्मेदारियों के द्वारा जानबूझकर एक तबके में असुरक्षा की भावना पैदा करने का क्रम चल रहा है। यह तत्काल रुकना चाहिए। सद्भाव का वातावरण फिर कायम हो सके और राहत शिविरों में रहने को मजबूर परिवार अपने गांवों में बेखौफ लौट सकें इसके लिए पहलकदमी ली जानी चाहिए।
इस कार्यक्रम के द्वारा हम यह संकल्प लेते हैं कि सद्भावना के माहौल में खलल डालने की किसी भी कोशिश को हम सफल नहीं होने देंगे। जान-माल की रक्षा और अमन-चैन बरकरार रखने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी पर राज्य सरकार तत्काल गंभीर पहल करे। इसके साथ ही सूबे में सक्रिय सभी राजनैतिक शक्तियों से हमारा आवाहन है कि भाई-चारा कायम रखने में मददगार साबित हों ।
निवेदक,
समाजवादी जनपरिषद , वाराणसी.
सैय्यद मकसूद अली – जिलाध्यक्ष , काशीनाथ – जिला महामन्त्री , अनवर खान- पूर्व जिला महामन्त्री , रामजनम – पूर्व प्रान्तीय महामन्त्री , डॉ स्वाति- पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष , चंचल मुखर्जी- पूर्व राष्ट्रीय सचिव,अफलातून – राष्ट्रीय सचिव
डॉ नीता चौबे , डॉ मुनीजा खान , अब्दुल हफीज, मो. नसीम उर्फ बच्चा, राम आसरे, दिनेश पटेल.