दुनिया को परमाणु बिजली संयंत्र के राक्षसी स्वरूप का तार्रुफ़ चेर्नोबिल करा गया है । २६ अप्रैल , १९८६ को चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र का एक रिएक्टर विस्फोट के साथ फटा। २८०० डिग्री सेन्टिग्रेड की गर्मी से उसकी अग्निज्वाला भभक रही थी , रेडियोधर्मी विकिरण उगलती हुई ।
इस दुर्घटना की कल तेईसवीं बरसी है । इस अवसर पर उत्तर प्रदेश लोक राजनैतिक मंच ने अमेरिका से हुए परमाणु समझौते के खतरों पर एक गोष्ठी का आयोजन किया है । इस समझौते के बाद हो रहे आम चुनाव में यह महत्वपूर्ण मसला अन्य राष्ट्रीय मुद्दों की तरह गौण है । लोक राजनैतिक मंच ने लखनऊ संसदीय क्षेत्र से अपने प्रत्याशी श्री एस आर दारापुरी का परिचय कराते हुए इस विषय पर एक सार्थक चर्चा करने का निश्चय किया है । गोष्ठी की अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. रूपरेखा वर्मा करेंगी ।
लखनऊ के चिट्ठेकारों और चिट्ठा पाठको बन्धुओं से अपील है कि
कल रविवार ,२६ अप्रैल,२००९ को दोपहर साढ़े तीन बजे – पी.एम.टी. कॉलेज ,होटल कपूर के सामने,बाटा के ऊपर,हजरतगंज आयोजित इस कार्यक्रम में सादर शरीक हों । मैं बनारस से इस कार्यक्रम में भाग लेने मौजूद रहूंगा ।
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लखनऊ के पाठकों से विनम्र निवेदन
Posted in chernobyl, election, environment, nuclear power, politics, samajwadi janparishad, tagged chernobyl, election, lok-rajniti manch, lucknow on अप्रैल 25, 2009| 6 Comments »
चुनाव से सम्बन्धित रिपोर्टिंग के लिए प्रेस परिषद के दिशा – निर्देश
Posted in capitalism, election, internet, media, news, online journalism, politics, print media, recessation, tagged election, guidelines, hindustan, jagran, press council on अप्रैल 6, 2009| 7 Comments »
- प्रेस का यह कर्तव्य होगा कि चुनाव तथा प्रत्याशियों के बारे में निष्पक्ष रिपोर्ट दे । समाचारपत्रों से अस्वस्थ्य चुनाव अभियानों में शामिल होने की आशा नहीं की जाती । चुनावों के दौरान किसी प्रत्याशी , दल या घटना के बारे में अतिशियोक्तिपूर्ण रिपोर्ट न दी जाए । वस्तुत: पूरे मुकाबले के दो या तीन प्रत्याशी ही मीडिया का सारा ध्यान आकर्षित करते हैं । वास्तविक अभियान की रिपोर्टिंग देते समय समाचारपत्र को किसी प्रत्याशी द्वारा उठाये गये किसी महत्वपूर्ण मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहिए और न ही उसके विरोधी पर कोई प्रहार करना चाहिए ।
- निर्वाचन नियमावली के अन्तर्गत सांप्रदायिक अथवा जातीय आधार पर चुनाव अभियान की अनुमति नहीं है । अत: प्रेस को ऐसी रिपोर्टों से दूर रहना चाहिए जिनसे धर्म, जाति , मत , सम्प्रदाय अथवा भाषा के आधार पर लोगों के बीच शत्रुता अथवा घृणा की भावनाएं पैदा हो सकती हों ।
- प्रेस को किसी प्रत्याशी के चरित्र या आचरण के बारे में या उसके नामांकन के संबंध में अथवा किसी प्रत्याशी का नाम अथवा उसका नामांकन वापस लिये जाने के बारे में ऐसे झूटे या आलोचनात्मक वक्तव्य छापने से बचना चाहिए जिससे चुनाव में उस प्रत्याशी की संभावनाएं दुष्प्रभावित होती हों । प्रेस किसी भी प्रत्याशी/दल के विरुद्ध अपुष्ट आरोप प्रकाशित नहीं करेगा ।
- प्रेस किसी प्रत्याशी/दल की छवि प्रस्तुत करने के लिए किसी प्रकार का प्रलोभन – वित्तीय या अन्य स्वीकार नहीं करेगा । वह किसी भी प्रत्याशी/दल द्वारा उन्हें पेश किया गया आतिथ्य या अन्य सुविधायें स्वीकार नहीं करेगा ।
- प्रेस किसी प्रत्याशी/दल – विशेष के प्रचार में शामिल होने की आशा नहीं की जाती । यदि वह करता है तो वह अन्य प्रत्याशी/दल को उत्तर का अधिकार देगा ।
- प्रेस किसी दल/ सत्तासीन सरकार की उपलब्धियों के बारे में सरकारी खर्चे पर कोई विज्ञापन स्वीकार / प्रकाशित नहीं करेगा ।
- प्रेस निर्वाचन आयोग/निर्वाचन अधिकारियों अथवा मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा समय समय पर जारी सभी निर्देशों/अनुदेशों का पालन करेगा ।
- जब भी समाचारपत्र मतदान पूर्व सर्वेक्षण प्रकाशित करते हैं तो उन्हें सर्वेक्षण करवाने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं का उल्लेख सावधानीपूर्वक करना चाहिए एव्म प्रकाशित होने वाली उपलब्धियों के नमूने का माप एवं उसकी प्रकृति , पद्धति में गलतियों के संभावित प्रतिशत का भी ध्यान रखना चाहिए । [ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मतदान पूर्व सर्वेक्षणों पर रोक लगा दी गयी है ।-सं. ]
- अगर चुनाव अलग चरणों में हो तो किसी भी समाचारपत्र को मतदान पूर्व सर्वेक्षण चाहे वे सही भी क्यों न हो प्रकाशित नहीं करना चाहिए ।
भारत की प्रेस परिषद द्वारा चुनावों के सन्दर्भ में उपर्युक्त दिशा निर्देश जारी किए गए हैं । अपने मुख्य ब्लॉग की एक प्रविष्टी को पुष्ट करने के लिए इन निर्देशों को यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है । उक्त प्रविष्टि के तथ्यों के प्रति भारत के चुनाव आयोग तथा सम्बन्धित अखबारों के सम्पादकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए पत्र लिख दिए गए हैं । सम्पादकों द्वारा उचित कार्रवाई न किए जाने पर प्रेस परिषद को लिखा जायेगा । मीडिया के इस गैर जिम्मेदाराना आचरण के विरुद्ध , लोकतंत्र के हक में पाठकों की आम राय प्रकट हुई है । इसकी हमें उम्मीद थी तथा इससे हमें नैतिक बल मिला है ।